संजीव क्रिडिया-
MP News: तकनीकी युग में अब विवाह के लिए दूरदराज की यात्रा करना आवश्यक नहीं रह गया है. सिवनी के बारापत्थर कॉलोनी के रहने वाले आचार्य पंडित राजेंद्र पांडे ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने कनाडा के टोरंटो शहर में रहने वाले एक जोड़े का ऑनलाइन विवाह संपन्न कराया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है.
भारतीय संस्कृति का पालन
पंडित राजेंद्र पांडे ने बताया कि कनाडा निवासी वर पक्ष भारतीय संस्कृति के अनुसार विवाह करने के लिए बेहद उत्सुक थे. कन्या संगीता और वर कायल का पूरे विधि विधान से विवाह सम्पन्न करने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ. पंडित जी ने कहा कि यह उनका दूसरा अनुभव है, जिसमें उन्होंने विदेश में बैठे-बैठे ऑनलाइन शादी कराई है.
पहले भी करा चुके है ऑनलाइन विवाह
इससे पहले भी पंडित पांडे ने सिवनी के उपाध्याय परिवार के बेटे का अमेरिका में ऑनलाइन विवाह कराया था. उपाध्याय परिवार का बेटा अमेरिका में जॉब करता है और वह भारत नहीं आ पा रहा था. परिवार ने अमेरिका जाकर बेटे की शादी करवाने का फैसला लिया और पंडित जी से ऑनलाइन विवाह कराने का अनुरोध किया.
ऑनलाइन शादी की प्रक्रिया
पंडित पांडे ने बताया कि अमेरिका में पंडित न होने के कारण विवाह की रस्मों में देरी हो रही थी. इसलिए उपाध्याय परिवार ने उनसे ऑनलाइन विवाह कराने की बात कही. पंडित जी ने विधि विधान के साथ ऑनलाइन विवाह संपन्न करवाया और यह अनुभव उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया.
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वायरल हुआ वीडियो
कनाडा के टोरंटो शहर में हुए इस ऑनलाइन विवाह का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. पंडित पांडे का यह प्रयास एक नई मिसाल बन गया है और लोगों को यह दिखा दिया है कि भारतीय संस्कृति का पालन अब ऑनलाइन माध्यम से भी संभव है.
आचार्य पंडित राजेंद्र पांडे का अनुभव
पंडित पांडे ने कहा कि यह उनके जीवन का दूसरा अवसर है जिसमें उन्होंने अमेरिका के बाद कनाडा के टोरंटो शहर में ऑनलाइन विवाह करवाया है. इसके अलावा, पंडित पांडे अब तक कनाडा और अमेरिका के भारतीय परिवारों को ऑनलाइन सत्यनारायण की कथा भी सुना चुके हैं.
आचार्य पंडित राजेंद्र पांडे का यह अनूठा प्रयास न केवल भारतीय संस्कृति को संजोने का काम कर रहा है, बल्कि दूरदराज के देशों में बसे भारतीयों को अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़े रहने का अवसर भी प्रदान कर रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो ने यह साबित कर दिया है कि तकनीकी युग में भी संस्कार और संस्कृति का पालन किया जा सकता है.