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MP News: नरसिंहपुर के परसराम साहू ने जीते जी मनाया ‘मृत्यु उत्सव’, धार्मिक रीति रिवाज से मनाया गया उत्सव

Parasram Sahu is greatly inspired and influenced by Asho.

परसराम साहू आशो से काफी प्रेरित-प्रभावित हैं.

MP News: नरसिंहपुर से एक अनोखी खबर सामने आई. यहां गाडरवारा के परसराम साहू ने मृत्यु महोत्सव मनाया. इसके लिए बकायदा उन्होंने पहले मां रेवा के तट पर बाकायदा पिंड दान, फिर शाम को बाजे-गाजे के साथ महोत्सव मनाया.

परसराम साहू आशो यानी आचार्य रजनीश से काफी प्रेरित-प्रभावित हैं. उनका मानना है कि जीवन बहुत सरल है, हम उसे कठिन बनाए फिरते हैं. परसराम का जीवन कुछ अलग ही ढंग का रहा उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, सामाजिक तानो-बानों को कई बार बदला है. उनका कहना है कि वे साहित्य बहुत पढ़ते हैं. उन्हें कुछ समय पहले उन्हें विचार आया कि जब एक दिन सभी को जाना है तो इस दिन को शोक की जगह महोत्सव के रूप में मनाया जाए. उनका यह मानना है कि में जब नया जीवन एक उत्सव है, तो फिर उसका अंतिम दिन महोत्सव क्यों नहीं होना चाहिए. इसलिए मैं इस दिन के आने से पहले ही महोत्सव मनाना चाहता हूं. ताकि, अपने सगे-संबंधियों-दोस्तों के साथ सार्थक पल बिता सकूं…’

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यह मेरी इच्छा है-  मेरे जाने के बाद जो कुछ भी होता है, वो मेरे सामने हो

दरअसल, साहू का मानना है कि मेरे जाने के बाद जो कुछ भी होता है, वो मेरे सामने हो, मेरे जीते जी हो. मेरे अपने उस उत्सव में शामिल हों. ये सोचकर साहू ने सभी प्रियजनों के बीच में ये बात रखी. इसके बाद तय किया गया कि मृत्यु महोत्सव आयोजित किया जाए.

जिसके बाद यह आयोजन शास्त्रों के मुताबिक हुआ. इस आयोजन के लिए कई प्रकांड पंडितों से विचार-विमर्श किया, चर्चा की. उसके बाद ये कार्यक्रम आयोजित किया गया. धार्मिक रीति-रिवाज को ध्यान में रखते हुए परसराम जी की जन्म तारीख के हिसाब से श्राद्ध पक्ष में मां नर्मदा के घाट पर जाकर परसराम जी का विधि विधान से पिंडदान किया गया. उसके बाद सभी ने परशुराम जी का मृत्यु उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया.

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