MP News: एमपी में पटवारी भर्ती परीक्षा को मध्य प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है. सभी चयनित अभ्यर्थियों के नियुक्ति के आदेश भी दे दिए गए हैं. यहां तक कि नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होकर खत्म हो चुकी है. नियुक्ति की प्रक्रिया अब काउंसलिंग पर पहुंच चुकी है काउंसलिंग के दो चरण होने थे और 9 मार्च को दूसरा चरण था दो चरणों में तकरीबन 2200 पदों के लिए काउंसलिंग हो रही थी. लेकिन अब हर जिले में इक्का-दुक्का चयनित ही नियुक्ति के लिए पहुंचे हैं. वहीं भू अभिलेख आयुक्त पत्र के हिसाब से यह अंतिम काउंसलिंग थी यानि अब 2000 पद खाली रह जाएंगे.
इंदौर का हाल बेहाल 25 में से पहुंचा मात्र 1 उम्मीदवार
इंदौर जिले में पटवारियों के लिए कुल 58 पद पर नियुक्तियां होनी थी. 24 फरवरी को पहली काउंसलिंग में 30 पद भर गए थे. फिर इसके बाद 28 पदों के लिए वेटिंग लिस्ट वाले अभ्यार्थियों को चुना गया. इसके लिए जब कर्मचारी चयन मंडल (ESB) ने लिस्ट भेजी, तो वह केवल 25 चयनितों की ही थी. शनिवार 9 मार्च को जब काउंसलिंग शुरू हुई तो अधिकारी दस्तावेज सत्यापन के लिए उम्मीदवारोंं का इंतजार ही करते रह गये. 25 में से मात्र एक उम्मीदवार ही पहुंचा. वह भी अधूरे दस्तावेज के साथ. यानि अभी भी 28 पद जिले में पटवारियों के रिक्त हैं.
अब सवाल उठता है कि आखिर किसकी लापरवाही से इतने पद खाली रह गए. बता दें कि साढ़े हजार से अधिक पदों के लिए हुई इस परीक्षा में 9.78 लाख उम्मीदवार बैठे थे, यानि युवा यह नौकरी चाहते थे. अब चयनित होने के बाद भी युवा नौकरी क्यों नहीं कर रहे है. सूत्रों के मुताबिक अधिकारी स्तर पर कारण यह बताया जा रहा है कि चयनितों ने अन्य नौकरी कर ली है, इसके चलते वह अब इस पद नहीं आना चाहते हैं. ये हो भी सकता है लेकिन जब 9.78 लाख उम्मीदवार बैठे तो सभी तो नौकरी में नहीं लग गए. फिर पद कैसे रिक्त रह सकते हैं. ईएसबी ने इस मामले में वेटिंग लिस्ट ही इतनी छोटी बनाई कि अब इतनी बड़ी परीक्षा होने के बाद भी पद रिक्त रह जाएंगे और युवा नौकरी का इंतजार करते रह जाएंगे.
फर्जी डाक्यूमेंटस का होना भी हो सकती है वजह
इस परीक्षा में धांधली का आरोप लगाने वालों को इस बात की भी आशंका है कि इनके सर्टिफिकेट व दस्तावेज फर्जी होंगे, या फिर योग्य नहीं होंगे, इसीलिए यह नियुक्ति लेने नहीं आए. क्योंकि विवाद को देखते हुए इन्हें आशंका होगी कि आगे कभी भी जांच हो सकती है. इसलिए अब वह नियुक्ति लेने से बच रहे हैं.
एक नजर अब तक के घटना क्रम पर
मार्च-अप्रैल 2023 में पटवारी भर्ती परीक्षा ऑनलाइन आयोजित हुई. इसमें करीब 12 लाख छात्रों ने फार्म भरा और 9.78 लाख परीक्षा में बैठे. पटवारी परीक्षा का रिजल्ट 30 जून को आया जहां ग्वालियर के एनआरआई कॉलेज से मेरिट में 10 में से 7 छात्रों के आने से विवाद खड़ा हो गया. इसके बाद इस परीक्षा में धांधली की आंशका जताई जाने लगी. छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरु कर दिया. जगह-जगह पटवारी परीक्षा का विरोध होने लगा. जिसके बाद उस समय के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 जुलाई को हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा के निर्देशन में जांच कमेटी का गठन कर दिया.
इसके बाद आंदोलन तेज हुआ, आरोपों के बीच सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 19 जुलाई को हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस राजेंद्र वर्मा की अगुवाई में जांच कमेटी बना दी. 30 जनवरी 2024 को कमेटी ने इस मामले में जांच करके अपनी रिपोर्ट सरकार को सौप कर परीक्षा को क्लीन चिट दे दी, जिसके बाद सीएम डॅा.मोहन यादव ने पांच मार्च को सीएम ने नियुक्ति पत्र दिए और कहा कि जांच के कारण नियुक्ति नहीं रोक सकते है. किसी के पेट में मरोड़ उठे तो उठे, सरकार किसी धमकी से नहीं डरने वाली है. फिर 24 फरवरी 2024 को नियुक्ति प्रक्रिया के तहत पहली काउंसिंग हुई और इसके बाद फिर नौ मार्च को दूसरी काउंसलिंग की गई.