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MP में हाई-वे से गोवंश हटाने का पायलट प्रोजेक्ट फेल, सरकार अब दूसरे विकल्पों पर कर रही विचार, 6 जिलों में चलाई थी मुहिम

MP News In most of the districts, there is huge loss of life and property in accidents due to cattle sitting and roaming on the roads.

ज्यादातर जिलों में सड़कों पर बैठे और घूमते रहने वाले मवेशियों के कारण दुर्घटनाओं में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है.

MP News: मध्य प्रदेश की सड़कों पर हजारों की संख्या में घूमने वाले गोवंश को हटाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. सड़कों पर मवेशियों के कारण रोज ही दुर्घटनाएं हो रही हैं. भोपाल सहित 6 जिलों से गुजरने वाले ‘हाई-वे’ से मवेशी हटाने जोर-शोर से चलाया गया पायलट प्रोजेक्ट फेल हो गया. सरकार अब गोवंश वन्य विहार जैसे विकल्पों पर काम करने लगी है.

भोपाल सहित रायसेन, सीहोर, विदिशा, देवास और राजगढ़ जिलों के 9 हाइवे व अन्य सड़कों पर 3 महीने तक हाईड्रोलिक क्रेन, मोबाइल वैन के साथ मवेशी पकड़ने वालों की टीम 24 घंटे पेट्रोलिंग करती रही. लाखों रुपए खर्च हो गए लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. इन सड़कों के आसपास की गोशालाएं और कांजी हाउस फुल हैं और सड़कों पर जानवरों की संख्या हजारों में है.

गोशालाएं – कांजीहाउस फुल

प्रदेश के ज्यादातर जिलों में सड़कों पर बैठे और घूमते रहने वाले मवेशियों के कारण दुर्घटनाओं में जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के नतीजे सभी 6 जिलों में एक जैसे ही रहे. इन जिलों के आसपास की गोशालाएं व कांजीहाउस में इतनी जगह ही नहीं जितना गोवंश सड़कों पर घूम रहा है. इसलिए प्रशासन भी विवश हो गया. इसके अलावा सड़कों से गायों को पकड़ कर गोशाला तक ले जाना भी बड़ा चुनौतीपूर्ण साबित हुआ.

जबलपुर हाईवे बना किलर जोन भोपाल-जबलपुर

फोरलेन हाईवे ‘किलर जोन’ साबित हो रहा है। पशुपालन विभाग के मुताबिक 6 जिलों के 9 राजमार्गों पर 1 जुलाई से 31 अगस्त तक 3,953 गोवंश को सड़कों से उठाकर गोशालाओं में ले जाया गया. सड़क दुर्घटनाओं में 162 गोवंश की मौत हो गई और 510 घायल हुए. ओबेदुल्लागंज, उदयपुरा, देहगांव और देवरी के आसपास दुर्घटनाओं की संख्या ज्यादा है। सीहोर, विदिशा और राजगढ़ जिले में भी कई ब्लैक स्पॉट मिले हैं.

इन जिलों में चला पायलट प्रोजेक्ट

भोपाल, राजगढ़, सीहोर, रायसेन, विदिशा और देवास से गुजरने वाले नेशनल और स्टेट हाई-वे सहित अन्य सड़कों से गोवंश हटाने की विशेष मुहिम दुर्घटनाओं पर नहीं रोक लगी. विभागीय सूत्रों का कहना है कि 6 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट बहुत खर्चीला साबित हुआ. दुर्घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही. लाखों रुपए खर्च हो गए लेकिन समस्या जहां की तहां है. हर जिले की सड़कों पर औसतन 5-6 हजार मवेशी घूम रहे हैं लेकिन एक टीम एक सड़क पर दिन भर में बमुश्किल 15-20 गो- वंश को ही पकड़ पाई.

पशुपालक हैं लापरवाह – पशुपालन विभाग

अधिकारियों का कहना है कि पशुपालकों को समझाना मुश्किल है. वे केवल दूध दे रहीं गायों की चिंता कर उन्हें छुड़ा लेते हैं. बाद में उन्हें फिर सड़कों पर छोड़ देते है. दूध न देने वाली गायों की वे चिंता नहीं करते. ग्रामीणों में जागरुकता के साथ जुर्माने की राशि और बढ़ाना चाहिए. इन जिलों में जून से लेकर सितंबर तक अलग-अलग दिनों में पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया. गो- शालाओं का सर्वे भी किया गया.

दूसरे विकल्पों पर विचार

पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटनाओं का कारण बन रहे गोवंश को हटाने 6 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो गया. इसके नतीजों के साथहम दूसरे विकल्पों पर भी काम कर रहे हैं. 20-22 गोवंश वन्य विहार बनाने के प्रस्ताव हैं. रीवा, सतना, दमोह व सागर सहित8-9जिलों में स्वीकृत भी हो गए हैं.

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