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वनकर्मियों पर सीधे कार्रवाई नहीं कर सकेगी पुलिस, कलेक्टर की जांच रिपोर्ट की होगी जरुरत, लटेरी कांड के बाद लिया गया फैसला

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पुलिस मुख्यालय (फाइल फोटो)

MP News: मध्य प्रदेश में अब वनकर्मियों के खिलाफ पुलिस सीधे FIR नहीं दर्ज कर सकेगी. किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से पहले कलेक्टर की अनुमति होना जरूरी है. लटेरी कांड के बाद ये फैसला लिया गया है. लटेरी कांड में पुलिस की भूमिका पर संदेह था.

पहले कलेक्टर करेंगे जांच

17 फरवरी को भोपाल स्थित पुलिस मुख्यालय की ओर से एक आदेश जारी किया गया. इसमें ये कहा गया कि वनकर्मियों के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने से पहले जिला दंडाधिकारी की अनुमति की आवश्यकता होगी. इस आदेश के बाद पुलिस अब ड्यूटी के दौरान वनकर्मियों पर आग्नेय शस्त्र का उपयोग और चालन नहीं कर सकती है. यदि किसी वनकर्मी पर कार्रवाई की जरुरत है तो पहले जिला दंडाधिकारी मामले की जांच करेंगे. जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस कार्रवाई कर सकेगी.

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इन अधिकारी-कर्मचारियों पर नहीं हो सकेगी कार्रवाई

पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी आदेश में वन रक्षक, वनपालों और उप वनक्षेत्रपालों पर कार्रवाई नहीं हो सकेगी. अपराध अनुसंधान विभाग ने सभी पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए हैं.

क्या है लटेरी कांड?

साल 2022 में विदिशा जिले के लटेरी के खटयापुरा में लकड़ी चोरी के शक में वनकर्मियों ने फायरिंग की. इसमें एक आदिवासी की मौत और 3 लोग घायल हो गए. इसके बाद का डिप्टी रेंजर निर्मल कुमार अहिरवार पर हत्या का मामला दर्ज किया गया था. एक जांच कमेटी बनाई गई जिसकी आज तक रिपोर्ट नहीं सौंपी गई. ऐसा कहा गया कि मामले के दौरान मृतक के परिजनों ने वनकर्मियों पर जानबूझकर गोलीबारी करने का आरोप लगाया था. इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर संदेह रहा.

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