MP News: मध्यप्रदेश के इंदौर में रहने वाले अवनीश डाउन सिंड्रोम से पीड़ीत हैं. उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर काला पत्थर तक पहुंचकर वहां तिरंगा लहराया. इंदौर के सिर्फ 7 साल की उम्र में अवनीश ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित करेंगी.
इस साल 19 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार दिया जा रहा है. वहीं मध्यप्रदेश से एकमात्र अवनीश को ये पुरस्कार दिया जाएगा. अवनीश 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत भी करेंगे. बाल पुरस्कार से सभी सम्मानित बच्चें इस साल के गणतंत्र दिवस के परेड में शामिल होंगे.
अवनीश ने जन्म से ही किया संघर्ष
अवनीश के दिल में जन्म से छेद है और घुटने भी ठीक नहीं है. वो कई शारीरिक परेशानियों से भी जूझ रहे है. 1 साल की उम्र में बायोलॉजिकल पेरेंटस ने जेनेटिक क्रोमोसोम डिसोऑर्डर से पीड़ीत होने के कारण अनाथ आश्रम में छोड़ दिया था. अवनीश के नाम 4 विश्व रिकॉर्ड और 30 से ज्यादा एक्सीलेंस अवार्ड भी मिल चुके है.
साल 2023 में चाइल्ड आइकॉन अवार्ड और डाउन सिंड्रोम एक्सीलेंस से भी सम्मानित किया जा चुका है. आपको बता दें कि अवनीश यूनाइटेड नेशन और विजेने में भी कई कॉन्फ्रेंस संबोधित कर चुके है. उन्होंने अनाथ और दिव्यांग बच्चों के अधिकारों के लिए भी काम किए है.
अवनीश की इच्छा पर पिता ने की तैयारी
अवनीश के बायोलॉजिकल पेरेंटस ने अनाथाश्रम छोड़ दिया था, जिसके बाद शहर के आदित्य तिवारी ने उन्हें गोद लिया. अवनीश के पिता हमेशा से हर जगह ट्रेकिंग पर ले जाया करते थे. जिसके कारण अवनीश ने मांउट एवरेस्ट चढ़ने की इच्छा जताई. उसके बाद पिता ने अवनीश की सेहत को देखते हुए पूरी तैयारी के साथ प्रेक्टिस की .
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बता दें कि मौसम और चढ़ाई के साथ अवनीश की सेहत भी चुनौती से भरी थी.पिता ने एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए अवनीश को स्पेशल ट्रेनिंग दी थी . 14 अप्रैल 2021 में अवनीश और उनके पिता ने एवरेस्ट यात्रा पर निकले थे. 5 दिन बाद 19 अप्रैल 2021 में शिखर पर पहुंचे.
इस ट्रैकिंग के लिए अवनीश और उनके पिता करीब 70 किलो का वजन लेकर चढ़े थे. इसमें 10 किलो तो केवल अवनीश की दवाई ही थी. जिससे उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े. आपको बता दें कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवांशिक बीमारी है.