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MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाराजगी के बाद पीएस पशुपालन गुलशन बामरा हटे, ई. रमेश को विभाग की मिली कमान

Cabinet meeting today before completion of one year of Mohan government

फाइल फोटो

MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव की नाराजगी के बाद आखिरकार गुलशन बामरा को हटाते हुए ई. रमेश कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई है. अचानक हुए इस बदलाव के पीछे एमपी दुग्ध संघ को एनडीडीबी (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ) को सौंपने में बामरा द्वारा आपत्ति करने से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नाराज थे.

सूत्रों की माने तो एमपी दुग्ध संघ में पिछले 15 साल में यथास्थिति बने रहने के बाद एनडीडीबी को सौंपने की बात चली. दोनों पक्षों में जानकारी का आदान प्रदान किया गया, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी. इसी मुद्दे पर हुई बैठक में पीएस बामरा ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति की, जबकि मुख्यमंत्री डॉ. यादव चाहते थे कि बेवजह देरी नहीं हो. इसी के बाद अचानक पीएस बामरा को प्रमुख सचिव पशुपालन की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण और आयुक्त आदिवासी विकास ई रमेश कुमार को जिम्मेदारी सौंपने के आदेश हो गए. अब बामरा के पास प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं आयुक्त पर्यावरण के साथ ही महानिदेशक एप्को का ही प्रभार रहेगा.

5 साल में दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य

मध्यप्रदेश राज्य कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन और संचालन अगले पांच वर्ष के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड सौंपा जाएगा. प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पुशपालकों की आमदनी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बोर्ड को दायित्व देने पर सहमति बनी है. यह बात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रालय में मध्यप्रदेश में डेयरी विकास योजना, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने एवं सांची दुग्ध संघ के कार्यों के संबंध में समीक्षा में कही. बैठक में मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन एवं एकत्रीकरण तथा सांची दुग्ध संघ के विषय में कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई.

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प्रदेश में हर रोज साढ़े 5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है. प्रदेश में रोज साढ़े 5 करोड़ लीटर दुग्ध उत्पादन हो रहा है. 40 हजार गांवों में होंगे प्रयास मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के करीब चालीस हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास होंगे. वर्तमान में 10 से 15 हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन की स्थिति संतोषजनक है.

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