MP News: मऊगंज जिले में समितियों द्वारा संचालित बचत बैंक के खातों से अमानत में खयानत का बड़ा मामला सामने आया है. 6 सेवा सहकारी समितियों मे बचत बैंक के खाताधारकों का 9 करोड़ रुपया गायब है. राशि जमा करने वाले किसान अपने ही पैसे के लिए दर दर की ठोकरे खा रहे. किसानों की मेहनत की गाढ़ी कमाई का यह पैसा समितियों के प्रबंधकों ने सोसायटी को डिफाल्टर होने से बचानें के लिए उठाकर लोन चुकता कर दिया. इससे सोसायटी डिफाल्टर होने तो बच गई, लेकिन इससे साढ़े पांच हजार से अधिक खाताधारकों की नींद तब उड़ गई जब वह सहकारिता विभाग पहुंचते हैं तो उन्हें अपने ही पैसे को भूल जाने के लिए कहा जाता है, हालात यह हो गए हैं की किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर है.
यह है पूरा मामला
दरअसल, मध्य प्रदेश के नवागत जिले मऊगंज में किसानों की एफडी समितियां द्वारा कराई गई, कहा यह गया की बैंक की जो ब्याज है उसे दो प्रतिशत अधिक ब्याज किसानों को मिलेगी. लेकिन अब ब्याज तो दूर किसानों का मूल पैसा भी अब डूबने की कगार में आ गया है. पूरे मामले को लेकर स्थानीय विधायक प्रदीप पटेल सहकारिता विभाग में 24 घंटे का धरना भी दिया. लेकिन इसके बाद भी किसानों के पैसे वापस होते हुए नहीं दिख रहे मामला गंभीर होता दिखा तो जांच की बात कही गई शिकायत की जांच लगभग पूरी हो गई है और रिपोर्ट उप पंजीयक कार्यालय के पास पहुंच चुकी है, लेकिन खाताधारकों की बचत पूंजी वापस करने का रास्ता आसान अभी भी नहीं दिख रहा है.
भोपाल तक पहुंच गया है मामला
मऊगंज विधायक के धरने के बाद रीवा सहकारिता विभाग के आफिस से लेकर भोपाल रजिस्टार सहकारी सेवाएं तक माथापच्ची शुरू हो गई. हालांकि अपनी सरकार में धरने में बैठे विधायक जी पार्टी की गाइडलाइन का भी पालन करते हुए खुलकर कोई भी गंभीर आरोप तो नहीं लगाए, लेकिन इशारों ही इशारों में विधायक जी ने बड़े भ्रष्टाचार के संकेत जरूर दे दिए.
जिस समिति में पैसा जमा किया वहां लगा ताला
किसानों का कहना है कि जिस समिति में उन्होंने अपना पैसा जमा किया था वह बंद हो चुकी वहां ताला लगा हुआ है. मुख्य कार्यालय में जब वह से पैसे की बात करते हैं सड़ी हुई सब्जियों की तरह मेहनत के पूंजी को भी भूल जाने के लिए कहा जाता है. इधर सोसायटी संचालन की जबावदेह संस्था जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के महा प्रबंधक ज्ञानेंद पांडेय ने इसके लिए समिति प्रबंधको को जिम्मेदार बताते हुए खाताधारकों के पैसे वापस करने में बैंक की बात जरूर कर दी है.
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प्रारंभिक जांच में 9 से 10 करोड़ के घोटाले की खबर
दरअसल, मऊगंज क्षेत्र की 6 सहकारी समितियों ने भोपाल में रजिस्ट्रार कार्यालय में बचत बैंक सोसायटी का पंजीयन करवाया और किसानों एवं अन्य लोगों के नाम से समिति में खाता खोलना शुरू किया. समितियों में सावधि जमा यानि एफडी और चालू खातों का संचालन किया, जिसमें लोग छोटी-बड़ी बचत कर पैसे जमा करने लगे. बताया जाता है कि हर्दी, गौरी, टटिहरा, देवरा पटेहरा, हटवा और बिछरहटा में बड़े पैमाने पर सालों में खातों में राशि जमा की गई. घाटे में चल रही इन समितियों के प्रभारियों को करोड़ों की अमानत में खेल करने का मौका मिल गया. उन्होंने किसान खाताधारकों की एफडी और चालू खातों में तमाम रुपया उठा कर ऋण वसूली में डाल दिया. खाताधारकों के पैसे से समितियों का सहकारी बैंक का लोन चुकाने का यह नायाब तरीका ही अब जिला सहकारी बैंक और उपपंजीयक सहकारी सेवाएं रीवा संभाग के गले की फांस बन गया. जो मामले की प्रारंभिक जांच में 9 से 10 करोड़ का लग रहा है.
थोड़ी-थोड़ी राशि करके राशि की जायेगी वापस: मऊगंज कलेक्टर
अमानत की राशि से लोन रिकवरी चुकाने वाली समितियों के प्रबंधक और प्रशासकों की निगाहें क्रेडिट लिमिट पर टिकी हैं. सूत्र बताते हैं कि खरीफ में सहकारी बैंक से खाद और केसीसी आदि के लिए क्रेडिट लिमिट के रूप में राशि दी जाती है. समितियों की क्रेडिट लिमिट के भी नियम और दायरें हैं. ऐसे में अमानत से की गई खयानत की कितनी राशि खाताधारकों को वापस की जाएगी, यह कोई नहीं बता पा रहा है. मऊगंज कलेक्टर का इस पूरे मामले पर कहना है कि लगातार किसानों के पैसे वापसी के लिए पत्राचार किया जा रहा है थोड़ी-थोड़ी राशि करके किसानों के पैसे वापस किए जाएंगे.