MP News: इंदौर में चोरल में बन रहे रिसॉर्ट के निर्माणाधीन कॉटेज की छत गिरने से उसके नीचे सो रहे ठेकेदार सहित 5 मजदूरों की दबने से मौत हो गई. सुबह काम करने मौके पर पहुंचे अन्य मजदूरों ने हादसा लिखने के बाद पुलिस को मामले की सूचना दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने एसडीईआरएफ की टीम की मदद से मृतकों के शव निकालकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजा है. देर रात हुआ यह हादसा चोरल रीवर रिसॉर्ट के निर्माणाधीन कॉटेज में हुआ है, जिस कॉटेज की छत गिरी है उसका निर्माण मृतकों द्वारा ही किया जा रहा था. कॉटेज का निर्माण लोहे की फ्रेमिंग पर आरसीसी की छत डालकर किया जा रहा था. इसी वजह से लोहे के फ्रेम छत का वजह सहन नहीं कर सके और यह हादसा हो गया.
हादसे की सूचना पर पुलिस और प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई. एसडीईआरएफ की टीम ने जेसीबी और करें की मदद से मलबा हटाकर मृतकों के शव बाहर निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजे है. हादसे में पवन पांचाल, हरिओम रमेश, अजय रमेश, गोपाल प्रजापति और राजा की मौत हुई है.
निर्माण की थी अनुमति
महू एसडीएम चरणजीत सिंह हुड्डा ने बताया कि चोरल रीवर रिसॉर्ट ममता कन्हैयालाल डेमला, आयना भरत डेमला और डॉ विकास के नाम बताया जा रहा है. रिसॉर्ट बनाने के लिए ग्राम पंचायत से अनुमति ली गई थी. जमीन का डाइवर्जन भी करवा लिया गया था. जंगल और नदी के पास होने की वजह से वन विभाग से भी अनुमति लेने की आवश्यकता होती है, उसकी जानकारी ली जा रही है.
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तय जगह पर सोते तो बच जाती जान
हादसे में जिन मजदूरों की मौत हुई है, उनके रात में सोने के लिए अलग से जगह बनाई हुई थी, लेकिन वे उस झोपड़ी में न सोकर 2 दिन पहले छत भरने वाले कॉटेज में जाकर सो गए थे. यदि वे अपने यह स्थान पर सोते तो इस दर्दनाक मौत से बच जाते.
लोहे की फ्रेम पर आरसीसी की छत डालने से हुआ हादसा
सभी मृतक दूसरे शहरों से काम करने यहां आए थे. जिस तरह से कॉटेज का निर्माण किया जा रहा था, वह पूरी तरह से गलत था. लोहे की फ्रेम को वेल्डिंग कर कॉटेज बनाया जा रहा था. जबकि इन फ्रेमिंग को वेल्डिंग के साथ स्क्रू से कसने की भी आवश्यकता थी. वहीं फ्रेम्स के बीच में छत को रोकने के लिए कुछ भी नहीं भरा गया था. यही हादसे की सबसे बड़ी वजह है.