आशीष मालवीय-
MP News: नर्मदापुरम, घायल बाघिन को जब सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के एक बाड़े में रखा गया तो बाड़े में इलाज के बाद बाघिन को शिकार करना सिखाया गया. दरसअल सिवनी वन मंडल में अगस्त 2022 को लगभग छह महीने की एक मादा बाघ शावक अपनी मां से बिछड़ गई और वहां के ग्राम हरदुआ के निकट एक कुए में घायल अवस्था में गिरी हुई पायी गई थी. जिसका रेस्क्यू कर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल उपचार हेतु भेजा गया. लेकिन प्राथमिक उपचार के कुछ दिन बाद मादा बाघ शावक को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना स्थित बाड़े में भेजा गया. जहाँ पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक टीम द्वारा लम्बे समय उपचार कर उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ्य किया गया. कल 20 जून को उसी बाघिन को बाड़े से सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के खुले जंगल में कॉलर आईडी लगा कर आजाद किया गया.
बाड़े में सिखाया गया था बाघिन को शिकार करना
करीब डेढ़ वर्ष पूर्व जब छ: माह की बाघिन को बाड़े में लाया गया था तब वह बाघिन शिकार करना नहीं जानती थी. लेकिन सतपुड़ा के जंगल में बाघिन को पूर्ण स्वस्थ कर शिकार करना भी सीखना पड़ा, यहां के क्षेत्रसंचालक तथा अन्य अनुभवी अमले द्वारा विभिन्न तरीकों से मादा बाघ शावक को शिकार करना सिखाया, जिसके बाद शिकार करने में माहिर होने पर कल 20 जून को टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा बाघिन को खुले वनक्षेत्र में छोड़ा गया है.
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मॉनिटरिंग के लिए लगाई गई बाघिन को कॉलर आईडी
बाघिन खुले वन क्षेत्र में शिकार कर पा रही है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए बाघिन को कल सतपुड़ा की मेडिकल टीम द्वारा ट्रेंकुलाइज कर उसके गले में कॉलर आईडी लगाई गई है. कॉलर आईडी के माध्यम से बाघिन की लोकेशन प्रबंधन टीम को मिलती रहेगी और जंगल में एक टीम उसकी सतत निगरानी करती रहेगी, जिसके उसकी गतिविधियों की जानकारी प्रबंधन के पास रहेगी.
बता दें कि, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मालनी स्थित बाड़े में लगभग 20 माह गुजारने के बाद कल दोपहर मादा बाघ को खुले वनक्षेत्र में मुक्त किया गया. जिस दौरान सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के क्षेत्रसंचालक एल. कृष्णमूर्ति, डिप्टी सुश्री पूजा नागले, वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ0 गुरूदत्त शर्मा, सहायक संचालक विनोद वर्मा के साथ रेस्क्यू दल के सदस्य शामिल रहे.