सौरभ साहू पन्ना-
MP News: शिव आराधाना के लिए प्रसिद्ध सावन सोमवार की शुरुआत हो गई.देश उज्जैन में बाबा महाकाल के दर्शन करने बड़ी संख्या में शिवभक्त पहुंच रहे हैं. महाकालेश्वर मंदिर के पट रात 2:30 बजे ही खोल दिए गए. भस्म आरती में भी हजारों श्रद्धालु शामिल हुए.
पन्ना जिला के चौमुखनाथ मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. सावन सोमवार के प्रथम पवित्र दिन में पूरे बुंदेलखंड के श्रद्धालु यहां पहुंच कर पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि इस अद्भुत मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है.
पुरातात्विक महत्व
पन्ना के इस दिव्य मंदिर में श्रद्धालुओं की बड़ी आस्था है तो वहीं इसका पुरातन महत्व भी है. मध्य भारत में जीवित पत्थर के मंदिरो में प्रमुख मंदिर है उसकी डेटिंग अनिश्चित है, लेकिन उनकी शैली की तुलना उन संरचनाओं से की जा सकती है जो जीवंत है. गुप्त साम्राज्य के युग के चतुर्मुख मंदिर 5वीं से 9वीं शताब्दी की मध्य का मंदिर हिंदू मंदिर वास्तुकला की उत्तर भारतीय शैली को दर्शाता हैं.
खजुराहो मंदिरों से कम नहीं
पन्ना जिले के धार्मिक, ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थलों की भरमार है जिसमें चौमुख नाथ मंदिर प्रमुख है जिनका महत्व खजुराहो के मंदिरों से कम नहीं है. बल्कि प्राचीनता की द्रष्टि से पन्ना जिले के ये मंदिर खजुराहो के मंदिरों से भी अधिक प्राचीन हैं.
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1500 साल पुराना
जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 50 किमी. दूर सलेहा के निकट स्थित चौमुखनाथ मंदिर अति प्राचीन है इस अनूठे मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा रहस्यों से परिपूर्ण और विलक्षण है. एक ही पत्थर पर निर्मित इस अदभुत प्रतिमा के चार चेहरे हैं. बायां चेहरा विषग्रहण को चित्रित करता है जबकि दायां चेहरा शांत भाव को प्रदर्शित करता है. सामने वाले चेहरे पर दूल्हे की छवि दिखती है और चौथे चेहरे पर अर्धनारीश्वर की छवि प्रकट होती है. यह शिवलिंग आज से कोई 1500 वर्ष से ज़्यादा पुराना है. अद्भुत, अकल्पनीय वास्तुकला और संस्कृति का अप्रतिम उदाहरण है यह मंदिर तथा इसके गर्भगृह में प्रतिष्ठित शिव प्रतिमा. एक ही मूर्ति में दूल्हा, अर्धनारीश्वर और विष पान करते व समाधि में लीन शिव के दर्शन होते हैं.
सावन सोमवार के दिन सभी शिव मंदिरों का महत्व है लेकिन पन्ना जिले के नचने का चौमुख नाथ महादेव मंदिर कई द्रष्टि से अनूठा है, जिसका अनुभव यहाँ पहुंचकर ही किया जा सकता है. यहां हर समय स्थानीय श्रद्धालु आते हैं, लेकिन सावन सोमवार में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है.
शिवरात्रि पर्व व सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. इसी मंदिर परिसर में पार्वती मंदिर है जो दुनिया के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से है. यह मंदिर गुप्त कालीन पांचवीं सदी का माना जाता है. कहा जाता है कि जब इंसान मंदिरों के निर्माण की कला सीख रहा था तब इस मंदिर का निर्माण कराया गया. यह केंद्र संरक्षित स्मारक है केंद्रीय पुरातत्व विभाग के अधीन इस मंदिर में वर्षभर श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन सोमवार में अधिक लोक पहुंच रहे हैं.