School Education in MP: मप्र में सरकार एक तरफ सीएम राइज स्कूल का निर्माण करा रही है. वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह है कि अधिकांश सरकारी स्कूलों में बुनियादी व्यवस्थाएं ही नहीं है. मप्र के 98 फीसदी स्कूलों में शौचालय तो बना दिए गए हैं, लेकिन इनमें से 25 फीसदी यानी 19337 स्कूलों में नल जल कनेक्शन ही नहीं है. ऐसे में कई स्कूलों में बच्चों को शौचालय की सुविधा का लाभ ही नहीं मिल पा रहा है. कुछ जगह बच्चे आसपास से पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. कुछ स्कूलों में भामाशाहों के सहयोग से पानी के टैंकर आदि से वैकल्पिक इंतजाम किए गए हैं.
यह स्थिति तब है जब भारत सरकार राज्यों के साथ साझेदारी में देश भर के सभी गांवों में प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन को लागू किया है. जल जीवन मिशन सार्वभौमिक संतृप्ति दृष्टिकोण का पालन करता है और बच्चों के स्वास्थ्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पीने और पीने के लिए लड़कियों के स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं (आदिवासी आवासीय विद्यालयों) सहित स्कूलों में नल के पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन के तहत एक विशेष अभियान शुरू किया गया था. प्राथमिकता के आधार पर मध्याह्न भोजन पकाना, हाथ धोना और शौचालयों में पाइप से पानी की आपूर्ति करना इस मिशन की प्राथमिकता में है. लेकिन केंद्रीय जल शक्ति और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की हाल ही जारी रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश की 19337 स्कूलों में अब तक नल जल कनेक्शन नहीं हो पाया है. स्कूलों में नल-जल कनेक्शन के मामले में मप्र 31वें पायदान पर है. हालांकि, देश के 90155 प्रतिशत स्कूलों ( 9123 लाख स्कूलों) में पीने योग्य नल जल की आपूर्ति हो गई है. देश में कुल 10,20,408 सरकारी स्कूलें हैं. इनमें से 9,23,963 स्कूलों में नल जल कनेक्शन हो चुके हैं. जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी आंगनवाड़ी केंद्रों और स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था की जाना था.
महिला बाल विकास के पत्र लिखने के बाद हुआ खुलासा
31 मई को 174 स्कूलों और 91 आंगनवाडिनों में पानी पहुंचाया गया. हालांकि इतनी बड़ी संख्या में आंगनवाड़ियों और स्कूलों में पेयजल की व्यवस्था न होने के पीछे वजह यह है कि कई जगह साफ पानी नहीं है. वहीं नल कनेक्शन तो कर दिए गए हैं, लेकिन इनकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है. प्रदेश में एक साल पहले तक सिर्फ 6327 आंगनवाड़ी केंद्रों में ही पानी की सप्लाई हो रही थी. हालांकि इसके बाद 40 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ियों में जल जीवन मिशन के जरिए पेयजल की व्यवस्था की गई है. आंगनवाड़ियों में पानी न पहुंचने पर महिला बाल विकास विभाग की ओर से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को पत्र लिखा गया था, जिसमें यह जानकारी सामने आई थी.