MP News: मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी के बड़े चेहरे के तौर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्हें केंद्रीय टेलीकॉम मंत्रालय दिया गया है…. इसके साथ ही उन्हें पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट माने जाने वाले पूर्वोत्तर विकास की भी जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन कमलनाथ सरकार को गिराने से लेकर उनके साथ आने वाले…. 68 नेताओं में से केवल 8-10 नेताओं का ही बीजेपी में भविष्य सुरक्षित हुआ है, बाकी की राजनीति अब हाशिए पर है. न उन्हें, बीजेपी के संगठन में बड़े पद पर है, न ही सरकार में.
टेलीकॉम मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद से एक लंबा सफर तय किया है. उन्होंने न केवल अपने गुना निर्वाचन क्षेत्र से 5.45 लाख वोटों के अंतर से जीत लिया है, बल्कि ऐसा लगता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास भी जीत लिया है. यही कारण है कि उन्हें टेलीकॉम मंत्री बनाया गया है और पूर्वोत्तर राज्यों के विकास का प्रभार भी उनके पास है. ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में पूरी तरह से सेट हो गए हैं. लेकिन उनकी करीबी वफादारों का क्या होगा, जो उनके साथ आए थे. लगातार दो चुनावों में हार के बाद उनके वफादार असमंजस में हैं.
देखा जाएं, तो बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है, वहीं 2020 में उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वाले उनके अधिकांश वफादारों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है. मार्च 2020 में, सिंधिया ने छह मंत्रियों सहित 22 मौजूदा पार्टी विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी, जिससे 15 महीने की कमलनाथ सरकार गिर गई. उनके केवल चार वफादार ही मध्य प्रदेश सरकार में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. बाकी या तो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं या लुप्त हो रहे हैं. वहीं कांग्रेस उन पर तंज कस रही है.
सिंधिया समर्थकों की मौजूदा स्थिति
ग्वालियर के डबरा से इमरती देवी 2023 के विधानसभा चुनाव में हार गईं. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
ग्वालियर से पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
मुरैना से रघुराज कंसाना पिछले साल विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
भिंड के मेहगांव से ओपीएस भदौरिया को भी विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
अंबाह विधानसभा सीट से कमलेश जाटव विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
मुरैना से गिर्राज दंडोतिया, टिकट काट दिया गया. आज वे न तो विधायक हैं और न ही किसी पद पर हैं.
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कमलनाथ सरकार गिराने में थी इनकी अहम भूमिका
ये वह लोग है, जिन्होंने कमलनाथ सरकार को गिराने का काम किया था. लेकिन इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी का टिकट काट दिया गया. तो कोई चुनाव हार गया. लेकिन अब इनके सियासी सफर पर ब्रेक लगा हुआ है. हांलकि कुछ सिंधिया समर्थक है, जिनका वजूद कायम है, उनमें जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री ऐदल सिंह कंसाना शामिल हैं.