MP News: प्रदेश में सीहोर जिले में प्राइवेट कम्पनी के द्वारा सरकार को करोड़ो का नुकसान कराने का मामला सामने आया है. कंपनियों के नाम कोस्टल प्राइवेट लिमिटेड और माय राइड्स इन्फ्रेक्चर लिमिटेड कंपनी है. इन कंपनियो ने 137 करोड़ की लागत से सीपलिंग परियोजना मे घटिया निर्माण के चलते सरकार को करोड़ों का चूना लगाया.
सीप नदी कोलार लिंक परियोजना का मामला
दरअसल, वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सीप नदी कोलार लिंक परियोजना का ठेका उक्त कंपनियों को दिया गया था. जिसमें सीप नदी पर डैम बना कर ओपन नहर एवं अंडरग्राउंड नहर बनाकर वीरपुरा डैम तक सीप नदी का पानी पहुंचना था. लेकिन ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग निर्माण कार्य में किया गया. परिणाम स्वरूप बनाया गया डैम एवं नहर अपने शुरुवाती वर्ष 2020 की पहली बरसात में ही टूट गई. परियोजना निर्माण कार्य को देखने वाले हितग्राहियों एवं प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि, ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य में बेहद घटिया किस्म की सीमेंट एवं रेत गिट्टी का प्रयोग किया गया है. जिसके चलते यह योजना अब तक भी अधूरी पड़ी है. जिसके परिणाम स्वरूप टूटे डैम एवं नहर की रिपेयरिंग के लिए करोड़ों रुपए के टेंडर सरकार द्वारा दोबारा निकाले गए एवं लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन ग्रुप ने इसे 23 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से दोबारा रिपेयर करने का ठेका लिया है. यह कंपनी जगह-जगह से डैमेज नहर एवं डैम को अगले डेढ़ वर्ष में ठीक कर योजना को सुचारू रूप से चलाने हेतु प्रतिबद्ध थी.
ठेकेदार एवं जिम्मेदार अधिकारियों ने किया भ्रष्टाचार
137 करोड़ 31 लाख ₹5000 की लागत से पूरी होने वाली सीप कोलार लिंक परियोजना में ठेकेदार एवं जिम्मेदार अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया. जिसका नतीजा साल 2012 में स्वीकृत हुई योजना जैसे-तैसे 2020 में पूर्ण हुई. लेकिन अपना 1 साल भी बतौर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और फिर ध्वस्त हो गई. क्योंकि इस पूरी परियोजना के निर्माण कार्य में ठेकेदार द्वारा आला अधिकारियों को भरपूर दाना पानी दिया गया. जिसके चलते अधिकारियों ने धरातल पर निर्माण कार्य की गुणवत्ता देखना उचित नहीं समझी. जिसका खामियाजा आज सरकार सहित क्षेत्र के हितग्राहियों को भुगतना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें: चौथे चरण के लिए प्रचार ने पकड़ी रफ्तार, देवास में रोड शो के बाद CM मोहन यादव ने खाई ‘मटका कुल्फी’
लापरवाही के बाद नही हुई जिम्मेदारों पर कार्रवाई
137 करोड रुपए से की लागत से बनाई गई सीप नदी कोलार लिंक परियोजना जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते अपने लोकार्पण से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गई. नहर को दुरुस्त करने हेतु शासन द्वारा दोबारा लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन ग्रुप को 23 करोड़ 45 लाख रुपए का ठेका दिया गया है. परंतु जिन लापरवाह जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारियों के चलते हैं. यह योजना क्षतिग्रस्त हुई थी उन पर अभी तक प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है. जिसके चलते इस बार भी यह योजना अपने लक्ष्य तक पहुंच पाए ऐसा संभव होता देख नहीं पा रहा है. क्योंकि जिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते पहला निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया था. ठीक उसी प्रकार यह निर्माण कार्य भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ना संभव माना जा रहा है. योजना की देखरेख करने वाले लगभग सारे जिम्मेदार वही है जो पहले वाली योजना को फेल कर चुके हैं.
सरकार को लगा 137 करोड़ का चूना
137 करोड रुपए से बनाई गई सीप नदी कोलार लिंक परियोजना अपनी पहली बारिश में ही डैम सहित कोलार नदी को जोड़ने वाली नहर ताश के पत्तों की तरह बिखर गई. जिसके अंतर्गत ठेकेदार ने लिंक परियोजनाओं में जिम्मेदार अधिकारियों से सांठगांठ कर घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग कर सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया. गौरतलब है कि ठेकेदार की जड़ प्रशासन में भी काफी गहरी मालूम होती है क्योंकि परियोजना के फेल होने पर भी जिम्मेदार आला अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. जिसके चलते ठेकेदार द्वारा सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया गया है.
ठेकेदार का कहना- जहां शिकायत करनी है कर दो
घटिया निर्माण पर जब आसपास के प्रत्यक्षदर्शियो से बातचीत की गई तो उन्होंने सारी कहानी बताई, लोगों ने कहा की ठेकेदार उनसे गुस्सा होते हुए कहता था की आपको जहां शिकायत करना हो कर दो मुझसे जैसा काम हुआ. मैंने किया इतने पैसों में ऐसा ही काम होता है. ऊपर से लेकर नीचे तक सबको देना पड़ता हैं. आपको मेरे निर्माण कार्य से शिकायत है तो शिकायत कर दो मैं लिखित में जवाब दे दूंगा.
ये भी पढ़ें: चौथे चरण के लिए प्रचार ने पकड़ी रफ्तार, देवास में रोड शो के बाद CM मोहन यादव ने खाई ‘मटका कुल्फी’
परियोजना के जिम्मेदार रहते हैं भोपाल, नहीं करते थे निर्माण कार्य का निरीक्षण
सीप नदी कोलार लिंक परियोजना में हुए भारी भ्रष्टाचार का कारण योजना में जिम्मेदार आला अधिकारियों का भोपाल रहना भी था. जिम्मेदार आला अधिकारी भोपाल में रहते थे और मौके पर निरीक्षण हेतु नहीं आते जिम्मेदार घर बैठे ही कागजी कार्यवाही कर लेते है. जिसका फायदा ठेकेदार उठाकर घटिया निर्माण करता है और खामियाजा सरकार सहित क्षेत्र के लोगों भुगतना पड़ता है.
एक नजर महत्वपूर्ण घटनाक्रम पर
1. 137 करोड़ 21 लाख ₹5000 की राशि से स्वीकृत हुई यह योजना 2020 में पूर्ण हुई और अपनी पहली बारिश में ही क्षतिग्रस्त हो गई.
2. इस घटिया निर्माण के लिए पोस्टल प्राइवेट लिमिटेड एवं माय राइट्स इन्फ्राट्रक्चर कंपनी को सरकार ने ब्लैक लिस्ट कर दिया.
3. 23 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से सरकार ने लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन ग्रुप को फिर इस योजना के रिपेयरिंग का ठेका दिया जो कि आने वाले 18 माह में परियोजना को दुरुस्त करके देना था.
4. शिवराज कैबिनेट ने कोलार लिंक परियोजना के लिए 137 करोड़ 31 लाख 5 हजार की राशि स्वीकृत की थी जिसमें की इच्छावर तहसील के 13 गांव को रवि फसल में 6100 हेक्टेयर और खरीफ फसल में 26 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का लाभ मिलना तय था तथा इसके साथ ही भोपाल में राज्य मंत्रालय ने सीएम शिवराज सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान केंद्र की 10 प्राथमिक ता वाली परियोजनाओं को वर्ष 2019-20 तक और 13 गैरप्राथमिकता वाली परियोजनाओं को वर्ष 2017-18 तक के लिए बनाए रखने की मंजूरी दी गई थी.
योजना का कार्यालय 80 किलोमीटर दूर
सीप कोलार लिंक परियोजना का जमीनी कार्य इछावर ब्लॉक के अलीपुर अलीपुर पंचायत में प्रारंभ हुआ. बगल के गुराडी,ब्रिजिशनगर हर पंचायत तक रहा लेकिन योजना के जिम्मेदारों का कार्यालय 80 किलोमीटर दूर रहटी तहसील के रेहटी नगर में स्थित है जिसकी दूरी योजना स्थल से 80 किलोमीटर दूर है.