मनोज उपाध्याय-
MP News: मुरैना जिले के ब्लाकों में आधा दर्जन तैयार कराई गईं मिट्टी परीक्षण लैब((soil testing lab) पिछले कई सालों से ताले में बंद धूल फांक रही हैं. इनके निर्माण के बाद से इनके कभी ताले ही नहीं खोले जा सके. खासबात यह है कि यह सभी लैब केंद्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में अनुपयोगी पड़ी हुई है. जिले में कुल सात लैब में से महज जिला मुख्यालय की ही लैब पर मिट्टी परीक्षण का काम किया जा पा रहा है.
6 ब्लॉक में बने थे मिट्टी परीक्षण लैब
सरकार खेती को लाभकारी बनाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही है. जिसके तहत लगभग 4 साल पहले मुरैना जिले के 6 ब्लाकों में मिट्टी परीक्षण लैब स्वीकृत की गई थी. जिनके निर्माण पर लाखों रुपये खर्च किए गए. यह लैब जिले के अंबाह, पोरसा, जौरा, पहाड़गढ़, कैलारस व सबलगढ़ में बनाई गई थी. इन लैब का निर्माण भी लगभग तीन साल पहले पूरा हो गया. बताया जाता है कि कृषि विभाग को भी यह सभी छह लैब हैंडओवर कर दी गईं, लेकिन अभी तक किसी भी लैब में एक भी सैंपल की जांच नहीं की गई है.
लैब में लटक रहे ताले
सभी मिट्टी परीक्षण लैब की स्थिति यह है कि सभी 6 लैबों पर ताले लटक रहे हैं, अब किसानों को अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने के लिए कई किमी दूर चलकर मुरैना में संचालित एक अदद लैब पर पहुंचना पड़ता है. जिसमें समय और पैसा भी किसानों को अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है. खासबात यह है कि ब्लाक स्तर पर इन लैब को बनाने के पीछे भी उद्देश्य यही था कि किसान अपने नजदीकी ब्लाक पर जाकर मिट्टी परीक्षण करा सके, लेकिन यह उद्देश्य अभी तक यह लैब पूरा नहीं कर सकी हैं.
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नवनिर्मित लैबों को कृषि विभाग के हैंडओवर हुए एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बताया जाता है कि लैबों को चालू करने के लिए यहां उपकरण भी खरीद कर पहुंचा दिए गए. इसके साथ ही यहां अटैचमेंट के तौर पर कुछ कर्मचारियों की भी पदस्थापना कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद यहां सैंपल लेने का काम अभी तक नहीं हो सका है.
खासबात यह है कि अभी तक 6 में से एक भी लैब चालू नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि कृषि विभाग के अधिकारियों ने भोपाल तक इनके चालू होने की बात कह दी है. जिससे भोपाल स्तर के अधिकारी भी आश्वस्त बैठे हुए है कि सभी लैब काम कर रहीं है. हकीकत में अभी तक इनके ताले तक नहीं खुले सकें हैं.
मुरैना लैब पर क्षमता से दोगुना दबाव
जिले में भले ही 7 मिट्टी परीक्षण लैब बनी हुई हैं, लेकिन यहां सैंपल लेने का काम सिर्फ एक लैब मुरैना पर ही होता है. जो सालों से संचालित हैं. जिले भर के किसान अपने खेतों से मिट्टी का सैंपल लेकर उन्हें मुरैना आना पड़ता है. उधर जिलेभर से सैंपल लाने से मुरैना लैब पर भी क्षमता से भी अधिक दबाव बढ़ गया है. आंकड़ों के मुताबिक मुरैना लैब की क्षमता 10 हजार सैंपल प्रति साल की है. इस हिसाब से एक महीने में महज 800 सैंपल ही जांच करते हैं. लेकिन स्थित यह है कि यहां 2021 में ही तीन महीने जनवरी, फरवरी व मार्च का टारगेट 4400 सैंपल का दिया जा चुका है. जबकि इसकी क्षमता तीन महीने में महज 2400 सैंपल की है. जानकारी लेने पर पता चला कि जनवरी महीने में ही 2000 से ज्यादा सैंपल अभी तक मुरैना लैब पर पहुंच चुके हैं.