MP News: एमपी के साथ छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल और गिरते स्तर पर लगाम कसने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) तैयार किया जाएगा. केंद्रीय भूजल बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित राज्यों के पर्यावरण सचिव व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को यह जिम्मा सौंपा गया है. एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने एसओपी बनाने के लिए तीन महीने का समय दिया है. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि एनजीटी के आदेश पर दिल्ली सरकार की बनाई एसओपी से कमेटी मार्गदर्शन ले सकती है.
किसी राज्य में यह पहले से ही लागू है तो कमेटी घटते भूजल स्तर और अनियंत्रित उपयोग को ध्यान में रखते हुए इस पर पुनर्विचार करेगी. जरूरत के मुताबिक बदलाव सुझाएगी. सेंट्रल बेंच ने इस आदेश की कॉपी तीनों राज्यों के मुख्य सचिवों को भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि कमेटी बना कर तय समय सीमा में रिपोर्ट दी जा सके.
यह है मामला
अपूर्व द्विवेदी ने एनजीटी की सेंट्रल बेंच में याचिका लगाई है. इसमें बताया कि जाटखेड़ी स्थित रूचि लाइफस्केप्स कॉलोनी में एक हजार स्वतंत्र मकान और करीब 400 फ्लैट हैं. इसकी ढाई किमी की परिधि में कुछ और घनी आबादी की कॉलोनियां हैं. याचिका में आरोप लगाया कि रूचि लाइफस्केप्स में रहवासी भूजल का अनियंत्रित उपयोग कर रहे हैं. अप्रैल से 30 जून तक प्रतिबंध होने के बाद भी बोरवेल किए जाते रहे. एसडीएम और केंद्रीय भूजल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया.
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भूजल के दो साल में ही सेमी क्रिटिकल श्रेणी में पहुंच गया भोपाल
पानी के दोहन के आधार पर शहरों व क्षेत्रों को अतिदोहित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और सुरक्षित श्रेणी में रखा जाता है. राजधानी की बात करें तो वर्ष 2020 में बैरसिया सुरक्षित, भोपाल शहरी और फंदा सेमी क्रिटिकल श्रेणी में थे. दो साल बाद ही बैरसिया भी सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में पहुंच गया. भोपाल शहरी और फंदा भी इसी श्रेणी में बने रहे. प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में भी भूजल स्तर काफी नीचे पहुंच चुका है.
लगातार दोहन से पर्यावरण के साथ ही वहां बनी इमारतों, सड़कों और अन्य निर्माणों को क्षति पहुंचने की आशंका है. इस पर ट्रिब्यूनल ने मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रूचि लाइफस्केप्स की शिकायत का परीक्षण कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए. साथ ही मप्र, छग व राजस्थान के लिए एसओपी तैयार करने कमेटी बनाने के आदेश दिए. इस मामले में अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी.