भोपाल: मध्य प्रदेश में पूर्व आईएफएस ललित बेलवाल के करतूतों से आजीविका मिशन में लगे दाग को हटाने के लिए सरकार ने कमेटी को भंग कर दिया है. इसके अलावा आजीविका मिशन को सिर्फ कमेटी में समन्वयक की भूमिका में रखा है. बाकी 16 और विभागों की आयुक्त को अधिकार दिए गए हैं कि वह आजीविका मिशन से खरीदी के साथ गुणवत्ता की जांच भी करेंगे. सामान्य प्रशासन विभाग में संबंध में आदेश जारी कर दिया है. जीएडी ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि साल 2023 में बनी कमेटी को भंग कर दिया गया है.
आजीविका मिशन विभाग में पदस्थ रहते हुए ललित बेलवाल पर कई गंभीर आरोप लगे थे. सामान्य प्रशासन विभाग ने बेलवाल के खिलाफ जांच कराई थी. जिसमें उन्हें दोषी पाया गया था. इसके बाद लोकायुक्त ने बेलवाल सहित तीन और अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. आजीविका मिशन के जरिए स्कूलों में पोषण आहार सप्लाई, आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों के लिए प्रोटीन और स्कूलों में बच्चों के लिए ड्रेस सहित कई और अहम योजनाओं को पूरा करने के लिए 45 लाख में सहायता समूह की महिलाएं काम करती हैं. इस विभाग में पिछले कई सालों में नियुक्ति और फर्जीवाडे़ से जुड़े हुए मामले को लेकर सरकार की काफी किरकिरी भी हुई लेकिन बेलवाल अपने पद पर टिके रहे, आखिरकार जांच के बाद उन्हें सरकार ने हटा दिया.
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500 करोड़ का घोटाला कैग ने किया था उजागर
लोकायुक्त की शिकायत में बताया गया कि कैग (CAG) की रिपोर्ट में सातों कंपनियों में बेलवाल के कार्यकाल में पोषण आहार में 500 करोड़ का फेक प्रोडक्शन, फेक डिस्ट्रीब्यूशन हुआ. सीएजी ने सैंपल के आधार पर यह जांच की थी. इसके बाद प्रदेश के सभी जिलों की जांच कराने को कहा था, लेकिन सरकार ने जांच नहीं कराई। बेलवाल के रसूख के चलते 800 पदों पर फर्जी नियुक्तियों का भी मामला उजागर हुआ था.
इन विभागों के अधिकारियों को किया शामिल
सामान्य प्रशासन विभाग ने विकास आयुक्त पंचायत और ग्रामीण विभाग को अध्यक्ष बनाया है. इसके अलावा मनरेगा, लोक शिक्षण संचनालय, पंचायत राज संचनालय, महिला बाल विकास के आयुक्त को सदस्य और किसान कल्याण, पशुपालन, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, तकनीकी शिक्षा, एमएसएमई, लोक स्वास्थ यंत्रिकी, मछुआ कल्याण विकास, जनजाति कार्य के संचालक और आयुक्त को सदस्य बनाया है.