MP News: मध्य प्रदेश में हथियारों की लाइसेंस देने से राज्य सरकार ने तौबा कर लिया है. इसके पीछे की वजह है कि पिछले कुछ सालों में हथियारों के लाइसेंस में वृद्धि हुई है. सरकार नहीं चाहती है कि मध्य प्रदेश की पहचान हथियार कल्चर से हो. इसलिए मंत्रालय में लंबित ढाई हजार आवेदनों को वापस कलेक्टर के पास भेज दिया है.
हैरत की बात है कि लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों ने हलफनामा दिया था. जिसके मुताबिक 45% मिनिस्टर के पास एक से अधिक हथियार है. जबकि 70% मंत्रियों के पास एक हथियार है. गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर से लेकर मार्च तक 3 महीने के बीच एक भी हथियार की अनुमति नहीं दी गई है. सरकार ने ढाई हजार एप्लीकेशन को मंत्रालय से जिलों को वापस कर दिया. दरअसल मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास गृह विभाग भी है और गृहमंत्री ही पिस्टल या फिर रिवाल्वर की अनुमति दे सकते हैं. मुख्यमंत्री ने पद संभालने के बाद सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि मध्य प्रदेश में हथियारों का प्रचलन काम करने की जरूरत है. क्योंकि मध्य प्रदेश में 2लाख 85000 से अधिक लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं.
6 महीने से अधिक पेंडिंग आवेदन भी हुए निरस्त
मंत्रालय सूत्र का कहना है कि 6 महीने से अधिक हथियारों की आवेदनों को निरस्त किया गया है यानी कि उन्हें फिर से जिला स्तर पर लाइसेंस के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी. फिर से मेडिकल रिपोर्ट और कलेक्टर एसपी कमिश्नर की सहमति लेनी होगी इसके बाद ही गृह विभाग तक पिस्तौल की लाइसेंस के लिए फाइल पहुंचेगी. खास बात है कि जब मोहन यादव ने खुद गृह विभाग संभाल रखा है तो ऐसे में लाइसेंस लेने वाले को कोई विशेष कारण जरूर बताना पड़ेगा. तभी हथियार के लाइसेंस की अनुमति जारी गृह विभाग की तरफ से की जाएगी.
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ग्वालियर, मुरैना, भिंड में सबसे ज्यादा लाइसेंस हथियार
मध्य प्रदेश के ग्वालियर, मुरैना और भिंड में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार हैं. इन तीन जिलों में करीब 40 फ़ीसदी मध्य प्रदेश की तुलना में लाइसेंसी हथियार दिए गए हैं. इन्हीं जिलों में लाइसेंसी हथियार के जरिए हर्ष फायर और हत्याओं के मामले भी सबसे ज्यादा पिछले कुछ सालों में सामने आए हैं. पिस्तौल से ज्यादा राइफल और 12 बोर के लाइसेंस ग्वालियर मुरैना और भिंड में जारी किए गए हैं.
पिछले 5 सालों में जारी हुए 40 हजार लाइसेंस
गृह विभाग के मुताबिक पिछले 5 सालों में 40000 से अधिक हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए हैं. सबसे अधिक पिस्तौल और राइफल के लाइसेंस गृह विभाग और कलेक्टर की तरफ से दिए गए हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले दिनों समीक्षा के दौरान 10 सालों के रिकॉर्ड को बुलाया था. जिसमें जानकारी सामने आई कि अधिकांश गृह मंत्रियों की तरफ से पिस्टल के लाइसेंस की सिफारिश की गई. जिसके आधार पर उन्हें हथियार का लाइसेंस दिया गया.