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MP News: प्रदेश में राज्य सूचना आयोग 5 महीने से बंद, 15 हजार अपीलें लंबित, हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

Madhya Pradesh State Information Commission

मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग

MP News: मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग में वर्तमान में एक भी आयुक्त पदस्थ नहीं है. पूरा आयोग 5 महीने से एक भी सूचना आयुक्त ना होने से बंद पड़ा है, जिससे अपीलार्थी परेशान हो रहे हैं और हजारों अपील पेंडिंग हैं. इसके चलते जबलपुर के अधिवक्ता विशाल बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विशाल धगट की एकल पीठ ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं और मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के 10 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सभी पदों पर नियुक्त आयुक्त के सेवानिवृत हो जाने के बाद सरकार द्वारा नियुक्ति नहीं की जा रही है, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पिछले 3 सालों में 3 बार विज्ञापन जारी कर सूचना आयुक्त के पदों पर आवेदन मंगाए, लेकिन नियुक्तियां नहीं की गई, जिससे राज्य सूचना आयोग अब बंद पड़ गया है.

साल 2019 के बाद नहीं हुई नियुक्तियां

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 15 के प्रावधान अनुसार राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा की जाती है, जिसमे नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक अन्य कैबिनेट मंत्री भी समिति में शामिल होते हैं. आयोग में 2019 में अंतिम नियुक्ति मप्र राज्य सूचना आयोग में अंतिम नियुक्ति मार्च 2019 में हुई थी। 30 मार्च 2019 को मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला और सूचना आयुक्त राहुल सिंह का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके बाद से नियुक्ति नहीं हुई है. सूचना आयोग में मख्य सूचना आयुक्त का 1 और सूचना आयुक्तों के 10 पद हैं. सितंबर 2023 में 3 पद भरे थे, जो मार्च 2024 में रिक्त हो गए। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अपीलों का निपटारा करने के लिए 180 दिन की समय सीमा निर्धारित है.

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15 हजार आवेदन पेंडिंग

सूचना आयोग कार्यालय में करीब 15 हजार आवेदन पेंडिंग हो गए हैं. कई अपीलों की सुनवाई साल 2021 से नहीं हुई है. मार्च 2024 तक 9 हजार अपीलें पेंडिंग थीं और मुख्य सूचना आयुक्त और एक सदस्य का मार्च में कार्यकाल समाप्त हो गया. इसके बाद 6 हजार अपील और बढ़ गईं. इसके बाद से सरकार इन पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाई है. इससे अपीलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब तो हाईकोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांग लिया है.

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