भोपाल: मध्य प्रदेश में हुए नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े के मामले में छात्रों ने राजधानी में एमपी नर्सिंग स्टेट काउंसिल के बाहर धरना दिया. फर्जी तरीके से खोले गए कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद छात्र परीक्षा और अपने भविष्य के लिए परेशान है. इसलिए हाईकोर्ट के निर्देश पर रद्द की गई कॉलेज की मान्यता को फिर से बहाल करने के लिए काउंसिल के बाहर प्रदर्शन किया.
फर्जीवाड़े से छात्रों का भविष्य संकट में
धरने पर बैठे छात्रों का कहना है कि पिछले 3 साल से कॉलेज में एडमिशन लेने के बाद भी परीक्षाएं नहीं हुई है. ऐसे में उनके भविष्य पर संकट आ गया है. मध्य प्रदेश के अधिकांश जिलों से छात्र आकर धरने में शामिल हुए. इस पूरे फर्जीवाड़े से प्रभावित छात्रों का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वह धरना खत्म नहीं करेंगे. इधर सरकार की ओर से भी कोई पहल अब तक नहीं गई है कि आखिर छात्रों की भविष्य को सुधारने के लिए परीक्षा की कैसे व्यवस्था बनाई जाएगी. क्योंकि छात्रों से एडमिशन के लिए कॉलेज संचलितों ने मोटी रकम भी ली है. छात्र परेशान है कि फीस जमा करने के बाद भी उनकी परीक्षा नहीं हुई है. अगर कॉलेज को मानता नहीं दी जाती है तो उनके तीन से चार साल खराब हो जाएंगे. वही एमपी स्टेट नर्सिंग काउंसिल भी हाई कोर्ट के जरिए रद्द किए कॉलेज को मानता नहीं दे सकता है. इसके पीछे की वजह है कि जब यह पूरा घटनाक्रम हाईकोर्ट तक पहुंचा था. हाई कोर्ट में बाकायदा सीबीआई ने जांच करते हुए कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी. सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि 3:30 सौ से अधिक कॉलेज में 60 फ़ीसदी से अधिक कॉलेज अमान्य है या फिर उन्हें फर्जी तरीके से खोलने के लिए मान्यता दी गई. इसके बाद 60 से अधिक कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई थी.
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ना नियम, न ही नियमों का कॉलेज ने किया पालन, फिर भी मिली मान्यता
हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई की जांच में कई अहम खुलासे भी हुए, सीबीआई ने अपनी जांच में बताया कि ना तो कॉलेज को मान्यता देने के लिए नियमों का पालन किया गया, न ही मान्यता देने से पहले कॉलेज को खोलने के नियमों की जांच की गई. सीबीआई ने कॉलेज की पड़ताल में पाया कि नियम है कि 23000 स्क्वायर फीट में कॉलेज खोलने के लिए जमीन होनी चाहिए लेकिन 2 से 3000 स्क्वायर फीट में ही किराए के मकान पर कॉलेज चल रहे थे. हाई कोर्ट ने भले ही कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी है लेकिन ना तो संचालकों पर जुर्माना लगाया है, ना ही छात्रों की भविष्य को लेकर कोई सरकार को निर्देश दिए. जिसकी वजह से छात्र अपने भविष्य को लेकर सरकार से गुहार लगा रहे हैं और 3 साल से बिना परीक्षा दिए भटक रहे हैं