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MP के मंदिर; 250 साल पुराना है जुगल किशोर मंदिर, ग्वालियर के गोपाल मंदिर में राधा-कृष्ण पहनते हैं 100 करोड़ की ड्रेस

Lord Krishna received Sudarshan Chakra from Lord Parashuram at Janapav of Indore.

इंदौर के जानापाव में भगवान कृष्ण को भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र मिला.

MP News: मध्य प्रदेश का भगवान कृष्ण से खास नाता रहा है. यहां भगवान कृष्ण की शिक्षा-दीक्षा हुई. यहां उन्होंने अपने जीवन के कई साल गुजारे. एमपी के नारायण धाम में भगवान कृष्ण की सुदामा से मित्रता हुई. अमझेरा में रुक्मी को युद्ध में हराकर देवी रुक्मणी से विवाह किया. इंदौर के जानापाव में भगवान कृष्ण को भगवान परशुराम से सुदर्शन चक्र मिला.

एमपी में भगवान कृष्ण से जुड़े कई सारे स्थान हैं. कई सारे मंदिर भी हैं जो भगवान कृष्ण को समर्पित हैं. इन मंदिरों में उज्जैन का गोपाल मंदिर, पन्ना का जुगल किशोर मंदिर जैसे फेमस मंदिर हैं. आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में…

गोपाल मंदिर, उज्जैन

उज्जैन का नाम आते ही पहली तस्वीर बाबा महाकाल की सामने आती है. बाबा महाकाल मंदिर के अलावा यहां कई सारे मंदिर हैं. इनमें से एक मंदिर गोपाल मंदिर है. भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का अपना ही इतिहास है. ये मंदिर उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण सिंधिया राजा दौलतराव सिंधिया की पत्नी बायजा बाई ने साल 1844 में करवाया था.

इस मंदिर के स्ट्रक्चर की बात करें तो मराठा शैली में बनवाया गया है. गर्भगृह में 2 फीट की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है. गर्भगृह में चांदी का द्वार लगा है. ‘बैकुंठ चौदस’ के दिन महाकाल की सवारी हरिहर मिलन के लिए इस मंदिर में आती है. बाबा महाकाल की भस्म आरती के समय गोपाल कृष्ण की सवारी महाकालेश्वर मंदिर जाती है. वहां तुलसी दल अर्पित किया जाता है.

इस मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी और होली के समय बड़े पैमाने पर उत्सव मनाया जाता है.

जुगल किशोर मंदिर, पन्ना

ये मंदिर मध्यप्रदेश का ही नहीं देश के सबसे फेमस मंदिरों में से एक है. भगवान कृष्ण को समर्पित ये मंदिर एमपी के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. इस मंदिर का निर्माण बुंदेला राजा हिंदूपत सिंह ने 1758 में करवाया था. इस मंदिर के स्ट्रक्चर की बात करें तो ये बुंदेला स्टाइल में बना है. बेहद खूबसूरत और कारीगरी का बेमिसाल नमूना है.

इस मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति को ओरछा के रास्ते होते हुए वृंदावन से लाया गया था. कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व यहां धूमधाम से मनाया जाता है.

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गोपाल मंदिर, ग्वालियर

सिंधिया राजघराने ने कई सारे मंदिर बनवाए हैं जिनमें से एक ग्वालियर का गोपाल मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण 105 साल पहले यानी 1919 में माधवराव प्रथम ने करवाया था. इस मंदिर के स्ट्रक्चर की बात करें तो ये मराठा और बुंदेला शैली के फ्यूजन का शानदार उदाहरण है. ये मंदिर इस मायने में अहम हो जाता है कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन राधा-कृष्ण का विशेष श्रृंगार किया जाता है.

100 करोड़ रुपये के वस्त्र पहनाए जाते हैं. इन वस्त्रों में मोती, नीलम, हीरे और पन्ना जड़े होते हैं. राधारानी को 3 किलो वजनी सोने का मुकुट पहनाया जाता है. वहीं भगवान कृष्ण के मुकुट में बड़ा सा पन्ना जड़ा रहता है जिसकी कीमत करोड़ों में आंकी जाती है.

द्वारकाधीश गोपाल मंदिर, इंदौर

ये मंदिर इंदौर शहर के बिल्कुल बीचोंबीच राजबाड़ा के पास स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 190 साल पहले साल 1832 में होलकर राजा यशवंतराव होलकर की पत्नी कृष्णाबाई ने करवाया था. कृष्णाबाई भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थीं. मराठा स्टाइल में बना ये मंदिर अपने आप में बेमिसाल और अनोखा है. इस मंदिर में बड़ी मात्रा में लकड़ी का इस्तेमाल किया है. सवा एकड़ के एरिया में बना ये मंदिर होलकर राजघराने का मंदिर था. इस मंदिर को बाद में आम जनता के लिए खोल दिया गया.

ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के सभामंडप की छत की मजबूती जानने के लिए इस पर हाथी चढ़वाए गए थे. इस मंदिर के गर्भगृह में राधा-कृष्ण की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है. वरुण, भगवान वराह, पद्मावती देवी लक्ष्मी, गणेशजी और गरुड़ की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं.

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