MP News: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर आतंक की मार झेल रहा है. कई इलाकों में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी है. कठुआ जिले में मुठभेड़ के दौरान मंगलवार को आतंकियों की गोली का शिकार सीआरपीएफ जवान कबीर दास उईके हो गए थे. वहीं, इलाज के दौरान उईके शहीद हो गए. जवान का अंतिम संस्कार गुरुवार को पैतृक गांव पुलपुलडोह में होगा.
जानकारी के मुताबिक, शहीद जवान कबीर दास उईके मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला अंतर्गत गांव पुलपुलडोह के रहने वाले थे. उन्होंने साल 2011 में सीआरपीएफ ज्वाइन की थी और चार साल पहले शादी हुई थी. शहीद के परिवार में पत्नी, मां, एक छोटा भाई और दो शादीशुदा बहने हैं. शहीद उईके की कोई संतान नहीं है. वो दस दिन पहले ही छुट्टी से ड्यूटी पर लौटे थे. बताया जा रहा है कि शहीद का पार्थिव शव गुरुवार सुबह 10 बजे पुलपुलडोह पहुंचेगा.
सीएम मोहन यादव ने शहादत को किया नमन
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सीआरपीएफ कांस्टेबल कबीर दास उईके की शहादत को नमन किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मां भारती के वीर सपूत, छिंदवाड़ा के लाल, अमर शहीद कबीर दास उईके के बलिदान को यह देश कभी विस्मृत न कर सकेगा. विनम्र श्रद्धांजलि.”
कमलनाथ बोले- छिंदवाड़ा के वीर सपूत पर हमें गर्व है
वहीं, पूर्व सीएम और छिंदवाड़ा के पूर्व सांसद कमलनाथ ने भी जवान की शहादत पर शोक प्रकट किया है. उन्होंने कहा, “जम्मू कश्मीर के कठुआ में कल हुए आतंकवादी हमले में छिंदवाड़ा के पुलपुलडोह निवासी सीआरपीएफ जवान कबीर दास शहीद हो गए. भारत माता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले छिंदवाड़ा के वीर सपूत पर हमें गर्व है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और परिजनों को यह वज्रपात सहने की शक्ति प्रदान करे. दुख की घड़ी में पूरा छिंदवाड़ा परिवार उनके साथ है. ओम शांति.”
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फारूक अब्दुल्ला बोले- कश्मीरी इन चीजों के लिए जिम्मेदार नहीं
उधर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने आतंकी हमलों को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोसी के साथ अभी भी समस्याएं हैं. सैन्य कार्रवाई से ये समस्याएं हल नहीं होंगी. जब तक हम अपने पड़ोसियों से बात नहीं करेंगे, हम इसे हल नहीं कर सकते. आतंकवादी सीमाओं के रास्ते आ रहे हैं और वे आते रहेंगे. कल जो भी सरकार होगी, उसे यही सब झेलना पड़ेगा.”
अब्दुल्ला ने आगे कहा, “हमें इन परिस्थितियों से बाहर निकलने की जरूरत है. हमारे पास एक बड़ी यात्रा (अमरनाथ यात्रा) आने वाली है. उसमें कोई भी छोटी घटना होने पर देश के बाकी हिस्सों में इसका बखान किया जाएगा. हम कश्मीरी इन चीजों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. हमने कभी इन चीजों का समर्थन नहीं किया है.”