MP News: प्रदेश में आने वाले दिनों में ‘जेल’ शब्द रिकॉर्ड से गायब हो जाएगा। राज्य में 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती से मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह अधिनियम-2024 पर अमल शुरू होगा। इसके साथ ही जेल विभाग, जेल मुख्यालय, जेलों और जेल अधिकारियों के नाम में परिवर्तन हो जाएगा. जेल विभाग का नाम बदलकर बंदीगृह एवं सुधारात्मक विभाग और जेल मुख्यालय का नाम सुधारात्मक एवं बंदीगृह संचालनालय हो जाएगा । सभी जेलों के नाम भी बदल जाएंगे। जेल का नाम दीगृह एवं सुधारात्मक संस्था हो जाएगा.
ऐसे ही जेल अधिकारी सुधारात्मक सेवाएं अधिकारी कहलाएंगे. जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रिकॉर्ड से जेल शब्द हटने के साथ ही जेलों के बाहर लगे बोर्ड से भी जेल शब्द हट जाएगा. जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नए अधिनियम के आधार पर जेल मुख्यालय नए नियम एवं निर्देश तैयार कर रहा है.
दरअसल, केंद्र सरकार ने 130 साल पुराने जेल अधिनियम में व्यापक स्तर पर संशोधन कर मॉडल जेल अधिनियम-2023 तैयार किया है। केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को इसका ड्राफ्ट भेजा था. इसी तारतम्य में राज्य सरकार ने मप्र सुधारात्मक सेवाएं एवं बंदीगृह विधेयक-2024 तैयार किया था. पिछले महीने विधानसभा में यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया था. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इस संबंध में पिछले दिनों नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया. इस कानून में सबसे ज्यादा जोर जेलों में व्यवस्थाएं सुधारने पर दिया गया है. इसमें जेल में खाने की क्वालिटी, स्वास्थ्य सुविधाओं, साफ-सफाई व स्वच्छता व्यवस्था में सुधार, जेलों में क्षमता से अधिक कैदी नहीं रखा जाना आदि शामिल हैं.
ये भी पढ़ें: कटनी GRP में दलित से मारपीट की घटना पर सख्त हुए CM मोहन यादव, प्रधान आरक्षक समेत 6 पुलिसकर्मियों को किया सस्पेंड
खूंखार अपराधियों गैंगस्टर पर सख्ती
नए कानून में जेलों में बंद खूंखार अपराधियों, गैंगस्टर पर कड़े नियंत्रण का प्रावधान किया गया है. ऐसे लोग जो जेल में मोबाइल या अन्य ई-डिवाइस उपयोग करते हैं या उनको सहयोग करते हैं, उनके खिलाफ 3 वर्ष के कठोर कारावास और 5 लाख रुपए तक जुर्माना कि जाने का प्रावधान किया गया है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी, मोबाइल डी- एक्टीवेटर लगाए जाने, ई-मुलाकात जैसे कई प्रावधान कानून में हैं. इसमें ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग वार्ड बनाने और जेलों में ओवर क्राउडिंग से बचने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. इसके अलावा नए कानून में जेल प्रशासन में सुधार करने और कैदियों के सुधार व पुनर्वास पर जोर दिया गया है. इसके लिए सागर स्थित जेल विभाग के संस्थान में जेल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी. भोपाल के जेल मुख्यालय स्थित रिसर्च इंस्टीट्यूट में कैदियों के मनोविज्ञान को समझने के लिए उनकी मनोदशा पर रिसर्च होगी. नए कानून में जेलों के आधुनिकीकरण, आधुनिक सुरक्षा प्रबंधन, जेलों में आधुनिक तकनीक एवं सूचना संचार तकनीक का प्रभावी उपयोग पर भी फोकस किया गया है.
तीन करोड़ से बनेंगी 4 नई बैरक
भोपाल केंद्रीय जेल में 4 नई बैरकों का निर्माण किया जाएगा. इनके निर्माण पर 3 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इन बैरकों की क्षमता 80 बंदियों की होगी। बैरकों के निर्माण से जेल में ओवर क्राउडेड की समस्या कुछ हद तक कम हो जाएगी. मप्र में जेलों की बंदी क्षमता करीब 30 हजार है, जबकि जेलों में करीब 50 हजार बंदी रखे गए हैं.