MP News: देश के शहरों को स्मार्ट करने के उद्देश्य से पीएम मोदी ने स्मार्ट सिटी योजना लागू की. इसके तहत इंदौर में भी कई काम शुरू हुए, लेकिन कॉविड के समय जब नगर निगम में जन प्रतिनिधि नही थे, तब जिम्मेदार अधिकारियों ने जमकर घपले किए, जिनका खुलासा अब हो रहा है. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कचरा निपटान के नाम पर बड़ा घोटाला पकड़ाया है. इस घोटाले को स्मार्ट सिटी कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों ने अंजाम दिया है. उन पर कार्रवाई करने और पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू या लोकायुक्त से करवाने के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सीएम और विभाग के मंत्री को पत्र लिखा है.
इंदौर नगर निगम में घोटाले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अभी तक फर्जी बिल घोटाले में उलझे नगर निगम में अब स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों द्वारा कचरा निपटान करने वाली नेप्रा रिसोर्स कंपनी पर निगम का करोड़ो रुपए बकाया होने के बावजूद उसका अनुबंध गलत तरीके से 7 साल बढ़ाने का मामला सामने आया है. महापौर भार्गव ने बताया कि 4.42 करोड़ की रायल्टी बकाया होने के बाद भी नेप्रा प्राइवेट लिमिटेड निजी कंपनी का ठेका 7 साल के लिए बढ़ाया गया.
इस तरह स्मार्ट सिटी के अफसरों ने टेंडर की शर्ताे का उल्लंघन कर निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने का काम किया है. इस टेंडर घोटाले में स्मार्ट सिटी के तत्कालीन चेयरमैन कलेक्टर मनीष सिंह, तत्कालीन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर निगमायुक्त प्रतिभा पाल के साथ ही तत्कालीन स्मार्ट सिटी सीईओ अदिति गर्ग की भूमिका संदेह के दायरे में है.
महापौर भार्गव बोले- ये शहर के साथ धोखा
महापौर भार्गव ने बताया कि यह शहर के साथ धोखा है. दोषियों पर कार्रवाई करवाना हमारी जिम्मेदारी है. जिम्मेदारों पर कार्रवाई करने और अनुबंध निरस्त करवाने के लिए सीएम डा मोहन यादव, विभाग के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ मुख्य सचिव को वीरा राणा को पत्र लिखा है. इस पत्र में मांग की है कि कंपनी का अनुबंध निरस्त करे. इसमें लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू से समय सीमा में जांच करवाए. ऐसा फ्रॉड दोबारा न हो इसके लिए डिजिटलाइजेशन करवा रहे है. भ्रष्टाचार करने वालो पर सख्त कार्रवाई की जाए। स्वच्छता के नाम पर गड़बड़ी करने वालो पर कार्रवाई हो.
नगर निगम में नहीं थे जन प्रतिनिधि
विशेष तौर पर स्मार्ट सिटी के अधिकारियो की जांच हो, उस समय नगर निगम में कोई जन प्रतिनिधि नही था. दोषियों को सजा मिले इसकी चिंता करेंगे. एक्सवाईजेड जो भी अधिकारी हो, नियम विरुद्ध काम करने वालो पर कार्रवाई हो. एक्सटेंशन के खिलाफ कार्रवाई करे और जो रेवेन्यू नही दिया है उसे वसूले.
बकाया होने के बावजूद बढ़ाया अनुबंध
वर्ष 2018 में देवगुराडिया में सूखे कचरे के निपटान के लिए स्मार्ट सिटी ने टेंडर बुलाए थे. अक्टूबर 2018 में यह टेंडर सिंगल होने के बाद भी कंपनी नेप्रा रिसोर्सेस मैनेजमेंट प्रालि को दे दिया गया. इस टेंडर की शर्त में था कि रायल्टी डिफाल्ट होने और अनुबंध की शर्त का पालन नहीं होने पर अनुबंध निरस्त कर दिया जाएगा. लेकिन स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने 30 जुलाई 2021 को 4.42 करोड़ की रायल्टी बकाया होने के बाद भी टेंडर निरस्त नहीं किया. इसके उलट 27 दिसंबर 2021 को नेहरू पार्क में बोर्ड बैठक बुलाई और टेंडर को सात साल के लिए आगे बढ़ाने का फैसला ले लिया.