MP News: अब तक आपने सैकड़ों गणेश मंदिर देखे होंगे. जिनकी प्रतिमा अतिप्राचीन है और इन मंदिरों में चमत्कार की कहानी भी खूब सुनी होगी, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के एक ऐसे गणेश मंदिर की कहानी, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे.ये मंदिर उज्जैन के श्मशान घाट में स्थित है.यहां भगवान गणेश की अत्यंत चमत्कारी और दुर्लभ प्रतिमा है जो पूरे विश्व में कहीं नहीं मिलेगी.
प्राचीनता और महत्व
उज्जैन मध्य प्रदेश के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है. यहां बाबा महाकाल का मंदिर होने के साथ ही दशभुजा गणेश का एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है. इस मंदिर का शिखर शमशान क्षेत्र में उठता है. जिसमें दसभुजा गणेश का विशाल मूर्ति स्थापित है. यहां हर साल बुधवार के दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. दर्शन के साथ ही उनके अद्भुत श्रृंगार का आनंद भी लेते हैं. मंदिर के इतिहास का पता लगाना कठिन है, लेकिन इसे प्राचीन काल में स्थापित किया गया था और उस समय से ही यहां कार्यरत है. यहां के मंदिर का शिखर आकर्षक है और इसे उज्जैन के धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है.
श्मशान घाट में स्थित है मंदिर
ये मंदिर है उज्जैन के श्मशान चक्रतीर्थ का है. आमतौर पर श्मशान घाट पर महिलाओं का जाना वर्जित रहता है, लेकिन उज्जैन के इस दसभुजा धारी गणेश के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचती हैं. यह विश्व का एकमात्र गणेश मंदिर है जिसे तांत्रिक गणेश के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर में दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
विश्व का एकलौता मंदिर
यह मंदिर विश्व में एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्री गणेश के हाथों में लड्डू नहीं बल्कि दस अलग-अलग विद्या विराजित है.इस गणेश मंदिर को लेकर लाखों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. जहां भगवान गणेश अपनी 10 भुजाओं के साथ विराजित हैं. और ये 10 भुजाएं 10 विधाओं को बताती हैं.साथ ही उनकी गोद में उनकी पुत्री संतोषी माता विराजमान हैं. इस मंदिर की यही खासियत है कि भगवान गणेश की 10 भुजाओं वाली माता संतोषी को गोद लिए पूरी दुनिया में एकलौती प्रतिमा है.
उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा
दस भुजा धारी गणेश मंदिर में महिलाएं अपने मनोकामनाओं को लेकर उल्टा स्वास्तिक भी बनाती हैं.. कहा जाता है कि उल्टा स्वास्तिक बनाने से लोगों की सारी इच्छाएं पूरी होती है, और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो फिर सीधा स्वास्तिक बनाकर भगवान के चरणों में प्रणाम किया जाता है.