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MP News: एमपी की छह विरासत को यूनेस्को की अस्थायी सूची में मिली जगह, ये है खासियत

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मध्य प्रदेश के 6 दर्शनीय स्थलों को यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया है

भोपाल: भारत का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की छह साइट्स को यूनेस्को (UNESCO) की वर्ल्ड हेरिटेज साइट की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है. एमपी की ये छह साइट्स हैं ग्वालियर किला, भोजेश्वर महादेव मंदिर, धमनार की रॉक कट गुफाएं और समूह, रॉक आर्ट साइट ऑफ द चंबल वेली, खूनी भंडारा और गोंड स्मारक रामनगर (मंडला). राज्य की अलग-अलग क्षेत्रों में फैली ये साइट्स अपने ऐतिहासिक, धार्मिक और शानदार इंजीनियरिंग के लिए जाना जाता है. आइए जानते हैं इन जगहों को विस्तार से

भारत का जिब्राल्टर : ग्वालियर किला

ग्वालियर किले को भारत के जिब्राल्टर के नाम से जाना जाता है. ग्वालियर किला शहर के बीचों बीच स्थित है. इसका निर्माण राजा सूरजसेन ने छठवीं शताब्दी में करवाया था. इस किले के साथ कई राजाओं और राजवंशों का नाम जुड़ा हुआ है जिनमें तोमर, कछवाहा, मुगल और सिंधिया हैं. किले में कई सारे मंदिर, महल, गुरुद्वारा, और दूसरे स्मारक हैं. ग्वालियर के किले में ही मान मंदिर नाम का फेमस महल हैं. इस महल की सुंदरता और बनावट बेमिसाल है. इस महल का निर्माण तोमर राजा मान सिंह ने करवाया था. इस महल के अलावा यहां जहांगीर महल, शाहजहां महल, विक्रम महल हैं.

यहां कछवाहा राजवंश द्वारा बनवाया गया सास-बहू का नागर शैली का मंदिर, उत्तर भारत का पहला द्रविड स्टाइल में बना तेली का मंदिर भी है. यहां एक गुरुद्वारा भी है जिसे दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है. इस किले में स्थित चतुर्भुज मंदिर के दीवार पर शून्य का उल्लेख है. इसे पहला लिखित प्रमाण माना जाता है. ग्वालियर किला एक पहाड़ी पर स्थित है जिसे गोपाचल कहा जाता है. इस किले तक पहुंचने के लिए कई सारे गेट हैं जिनमें आलमगीर दरवाजा, चतुर्भुज मंदिर दरवाजा, हाथीफोड़ दरवाजा और उरवाई दरवाजा हैं.

पूर्व का सोमनाथ : भोजेश्वर महादेव मंदिर

भोजश्वर महादेव मंदिर को पूर्व का सोमनाथ कहा जाता है. भोजपुर, भोपाल से 28 किमी दूर रायसेन जिले में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण राजा के द्वारा 11वीं शताब्दी में करवाया गया था. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां स्थापित भारत के सबसे शिवलिंग में से एक है. इस शिवलिंग की ऊंचाई आधार सहित 12 मीटर है. शिवलिंग का व्यास 6.6 मीटर है. इस मंदिर को अपूर्ण मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि इस मंदिर के शिखर का निर्माण नहीं हो सका. इस मंदिर को बनाने से पहले इसका डिजाइन बनाया गया. इस डिजाइन को किसी कागज पर नहीं बनाया गया बल्कि चट्टान पर बनाया गया. मंदिर के पास स्थित इन डिजाइन को देखा जा सकता है.

अंडरग्राउंड वाटर सिस्टम खूनी भंडारा

बुरहानपुर जिले के खूनी भंडारे को कुंडी भंडारा के नाम से भी जाना जाता है. ये अंडरग्राउंड वाटर सिस्टम है जिसे पेयजल के लिए बनाया गया था. इस खूनी भंडारा के पानी रंग लाल होने के कारण इसे खूनी भंडारा कहा जाता है. इसका निर्माण अब्दुल रहीम खानेखाना ने भूवैज्ञानिक तबकुतुल अर्ज की मदद से साल 1615 में करवाया था. आज 400 साल बाद भी इस खूनी भंडारे से बुरहानपुर के 40 हजार घरों में पानी की सप्लाई की जाती है. इसके पानी की पीएच वैल्यू की बात की जाए तो सामान्य पानी (7.8 से 8.2 Ph) से कम (7.2 से 7.5 Ph) है.

एमपी की अजंता: धमनार रॉक कट गुफाएं

मंदसौर जिले में स्थित धमनार रॉक कट गुफाएं एमपी की शानदार विरासत में से एक है. यहां 51 रॉक कट गुफाएं हैं इनमें बौद्ध और हिंदू दोनों शामिल हैं. चट्टानों को काटकर गुफाओं का निर्माण किया गया है. इन गुफाओं में कई सारी कलाकृतियां भी हैं. इनमें स्तूप, मूर्तियां शामिल हैं. यहां भगवान बुद्ध निर्वाण मुद्रा में मूर्ति है. धमनार में चैत्य भी हैं. इसके अलावा चट्टानों पर मूर्तियों को बारीकी से उकेरा गया है. इन गुफाओं का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया है. धमनार में बड़ी कचहरी और भीमा बाजार में शानदार कलाकृतियां देखने को मिलती हैं.

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गोंड विरासत: गोंड स्मारक रामनगर (मंडला)

मंडला जिले में स्थित रामनगर में गोंड शासकों की कई सारी इमारते हैं जो गोंड की स्थापत्य कला का शानदार नमूना है. रामनगर नर्मदा नदी के किनारे स्थित है. मध्यकाल में बनी इन इमरातों में हमें स्थानीय प्रभाव देखने को मिलता है. रामनगर में मोती महल, रायभगत की कोठी, विष्णु मंदिर और दल बादल महल जैसी अनूठी इमारते हैं. मोती महल का निर्माण गोंड राजा ह्रदयशाह ने 1667 में करवाया था. इस महल में तीन मंजिले हैं. इसके अलावा रामनगर में विष्णु मंदिर है जिसका निर्माण राजा ह्रदय शाह की पत्नी सुंदरी देवी ने पंचायतन शैली में करवाया था. इस मंदिर को सरकार ने संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया है.

रायभगत की कोठी इस कोठी का निर्माण ह्रदय शाह ने अपने दीवान राय भगत के लिए करवाया था. इस महल की खासियत इसकी दीवारों पर की गई चित्रकारी है. आठ कोनों वाला गुंबद इसे और शानदार बनाता है. इसे मंत्री महल भी कहते हैं. इसे साल 1984 में पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया. रामनगर में इन ऐतिहातिसक स्मारकों के अलावा रानी का महल, दल बादल का महल, चौगान और काला पहाड़ भी हैं.

रॉक आर्ट साइट ऑफ द चंबल वैली

चंबल नदी के किनारे रॉक आर्ट समृद्ध रूप से मिलती है. ये केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और उत्तरप्रदेश में भी है. यहां पुरापाषाण काल से लेकर ऐतिहासिक काल तक के विभिन्न रूपों में रॉक आर्ट देखने को मिलते हैं. इनमें दैनिक क्रियाकलापों से लेकर धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान भी शामिल हैं. इन रॉक आर्ट को बनाने के लिए नेचर में पाई जाने वाली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है.

अस्थायी सूची से स्थायी सूची का सफर

अस्थायी सूची में शामिल इन छह साइट्स को स्थायी सूची में लाने का काम यूनेस्को (UNESCO) द्वारा किया जाएगा. यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व भर से चयनित अस्थायी सूची वाली साइट्स को स्थायी करने के लिए वोटिंग की जाती है. वोटिंग में जिन स्थानों को सर्वोच्च स्थान मिलता है उन्हें स्थायी सूची में स्थान मिल जाता है.

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