आशीष मालवीय-
MP News: नर्मदापुरम, सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लापरवाही य गैरहाजरी के किस्से तो हम सुनने रहते हैं पर आज आपको एक ऐसे सरकारी स्कूल के शिक्षक की पहल को बताएँगे जिसकी तारीफ़ आप जरूर करेंगे. नर्मदापुरम के सिवनी मालवा तहसील के ग्राम लही के प्राइमरी स्कूल में बच्चे पढाई के लिए नहीं आते थे पर वहां पढ़ाने वाले शिक्षक एक अलग अंदाज में बच्चों के घरों घर पहुंचकर बच्चों को स्कूल लेकर आते हैं जिसके चलते अब स्कूल में बच्चों की उपस्थिती होने लगी है.
ढोल बजाकर बच्चों को लाते है स्कूल
नर्मदापुरम जिले की सिवनी मालवा के लही गांव के एक प्राइमरी स्कूल में स्कूली बच्चे लगातार अनुपस्थित रहते थे कोई बच्चा स्कूल नहीं आता था. यह समस्या देखते हुए बच्चों को स्कूल लाने के लिए वहां के शिक्षक संजू बारंगे ने एक अनूठा काम किया, शिक्षक गांव में ढोल बजा कर बच्चों के घरो-घर पहुंचने लगे, जो बच्चा अनुपस्थित रहता शिक्षक संजू उसके घर के सामने ढोल बजाते और उसे अपने साथ स्कूल लेकर आते इस कार्य को देख गांव के लोग भी खुश हुए और शिक्षक संजू को प्रोत्साहित करने लगें, गैरहाजिर हर बच्चे के घर शिक्षक संजू पहुंचने लगे और सभी बच्चों को अपने साथ स्कूल लेकर आने लगे.
अब ग्राम लही में जिस घर के सामने शिक्षक ढोल बजाते नजर आते हैं गांव के अन्य लोग समझ जाते हैं कि उस घर से बच्चा स्कूल नहीं पंहुचा, इस पहल से जो बच्चे स्कूल नहीं आते थे. अब सभी बच्चे स्कूल आने लगे हैं अभी भी यदि बच्चे अनुपस्थित रहते हैं तो शिक्षक ढोल लेकर उनके घर पहुंच जाते हैं.
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बंद होने की स्थिति में था स्कूल
शिक्षक संजू बारंगे बताते हैं कि जब मुझे लही प्राइमरी स्कूल का प्रभार दिया गया था स्कूल की स्थिति बंद होने की थी, सिर्फ स्कूल में 6 बच्चे थे. मैंने गाँव में जाकर ग्रामीणों से बात की और उनसे बच्चों को स्कूल भेजने का निवेदन किया. अब स्कूल में 25 बच्चें है और 5 अन्य आने वाले है. शुरू में बच्चे स्कूल नहीं आते थे तो हम ढोल बजाते हुए उनके घर जाते थे और उन्हें लेकर आते थे आज भी जिस दिन उपस्थिति कम होती है तो हम ढोल लेकर जाते है और उनके घर के सामने जाकर ढोल बजाते है, शिक्षिक संजू बारंगे अपनी इस पहल के चलते गांव में प्रसिद्द हैं. खास बात यह है कि अब वे अनुपस्थित बच्चों के घर उन्हें लेने जाते है तो उनके साथ ढोल और स्कूल के तमाम बच्चे भी होते हैं.
इस नवाचार के चलते स्कूल में बच्चों की उपस्थिति शतप्रतिशत हो गई है साथ ही पढ़ाई के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है. यदि संजू बारंगे जैसे शिक्षक सभी सरकारी स्कूलों में एक शिक्षक भी हो जाएँ तो सरकारी स्कूलों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.