Vidisha Lok Sabha Seat: एमपी की राजधानी भोपाल से सटी विदिशा लोकसभा सीट हॉट सीट रही है. इस सीट पर तीसरे चरण में यानी 7 मई को चुनाव होंगे. इस सीट पर वर्तमान में बीजेपी के रमाकांत भार्गव सांसद हैं.
वोटर्स की संख्या – 17,41,604+
विदिशा लोकसभा सीट में चार जिलों की आठ विधानसभा सीट आती हैं. रायसेन जिले की भोजपुर, सांची, सिलवानी; विदिशा जिले की विदिशा, बासौदा; सीहोर जिले की बुदनी, इच्छावर और देवास जिले की खातेगांव विधानसभा सीट शामिल हैं. इन आठ विधानसभा क्षेत्र में से सात पर बीजेपी के विधायक हैं वहीं सिलवानी सीट पर कांग्रेस का काबिज है. इस बार विदिशा सीट पर आम चुनाव 2024 में कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा और बीजेपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के बीच मुकाबला होगा.
आइए जानते हैं दोनों उम्मीदवारों के बारे में
शिवराज सिंह चौहान – विदिशा सीट से पांच बार के सांसद
संपत्ति – 3 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – MP-MLA कोर्ट में अवमानना का केस
राजनीति में मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान देश के जाने-पहचाने और चर्चित नाम में से एक हैं. इस बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए विदिशा से प्रत्याशी बनाया है. इससे पहले भी चौहान विदिशा सीट से सांसद रह चुके हैं. शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक सफर की बात करें तो बहुत लंबा है. संगठन की राजनीति से लेकर देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य एमपी के मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा किया.
मात्र 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) से जुड़े और साल 1975 में मॉडल स्कूल विद्यार्थी संघ के अध्यक्ष रहे. आपातकाल के दौरान भूमिगत आंदोलन में भाग लिया. साल 1977-78 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), भोपाल के संगठन सचिव और 1978-80 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) मध्यप्रदेश के संयुक्त सचिव और 1980-82 में महासचिव के पद रहे. साल 1982-83 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया. 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा(BJYM) के मध्यप्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985-88 में महासचिव और 1988-91 में BJYM के अध्यक्ष पद पर रहे.
साल 1990 में चौहान नौवीं विधानसभा के लिए बुदनी से जीतकर विधायक बनें. 23 नवंबर 1991 को विधानसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दिया और विदिशा लोकसभा सीट से साल 1991 के उपचुनाव में बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया. इस उपचुनाव में शिवराज सिंह चौहान की जीत हुई. 1991-92 में अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक बने और 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव पद पर रहे. साल 1992 से 1994 तक मध्यप्रदेश बीजेपी के महासचिव रहे. 1992 से लेकर 1996 तक केंद्र सरकार की अलग-अलग समितियों के सदस्य रहे. साल 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए विदिशा सीट से दोबारा चुने गए. 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए फिर से विदिशा सीट से चुने गए. 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए विदिशा सीट से चुने गए.
साल 2002 में बीजेपी राष्ट्रीय सचिव और 2003 में बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रहे. साल 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए पांचवीं बार विदिशा लोकसभा सीट से चुने गए. चौहान 2005 में मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने. 29 नवंबर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद के लिए पहली बार शपथ ग्रहण की और प्रदेश के 17वें सीएम बनें. 6 मई 2006 को बुदनी उपचुनाव में 12वीं विधान सभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान साल 2008,2013 और 2020 में मुख्यमंत्री के पद पर रहे. एमपी के राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबे समय यानी 16 साल 282 दिनों तक सीएम रहे.
साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में 6वीं बार बुदनी सीट से जीतकर आए. शिवराज सिंह चौहान 4 बार मुख्यमंत्री, 5 बार सांसद और 6 बार विधायक रह चुके हैं.
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प्रताप भानु शर्मा – विदिशा सीट से दो बार के सांसद
संपत्ति – 2 करोड़ रुपये+
आपराधिक रिकॉर्ड – शून्य (0)
कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी प्रताप भानु शर्मा को बनाया है. प्रताप भानु विदिशा से सांसद रह चुके हैं. साल 1980 और 1984 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता यानी विदिशा सीट से शर्मा दो बार सांसद रहे. साल 1975 से 76 तक मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे.
प्रताप भानु शर्मा को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का करीबी माना जाता था. शर्मा ‘क्लीन शेव ब्रिगेड’ में शामिल थे जिसमें माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट जैसे नेता भी शामिल थे. पेशे से इंजीनियर और व्यवसायी शर्मा की विदिशा में व्यापारियों के बीच अच्छी खासी पकड़ है. विदिशा में कई सालों तक अलग-अलग जिम्मेदारी संभाली. जिला लघु उद्योग संगठन और जिला चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रहे.
साल 1980 में लघु उद्योग विकास सोसायटी के अध्यक्ष भी रहे. इन सारी जिम्मेदारियों के साथ-साथ प्रताप भानु को कांग्रेस ने दूसरी जिम्मेदारियां भी दीं. संगठन के स्तर पर काम को लेकर प्रदेश ही नहीं दूसरे राज्यों में संगठन को मजबूत करने के लिए भेजा गया.
साल 1991 में प्रताप भानु शर्मा ने कांग्रेस के टिकट से देश के पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में शर्मा को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी को 2 लाख, 79 हजार, 232 वोट और प्रताप भानु शर्मा को 1 लाख, 75 हजार, 98 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 1 लाख, 4 हजार, 134 रहा.
1991 के बाद 12 साल तक प्रताप भानु शर्मा ने कोई चुनाव नहीं लड़ा. 2003 में हुए एमपी विधानसभा चुनाव में उदयपुरा सीट से कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा लेकिन हार मिली. 11 साल बाद फिर से शर्मा मैदान में हैं. वर्तमान में बात करें तो शर्मा मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्याक्ष पद पर हैं.
शर्मा जब एक ही साल में दो बार, बीजेपी उम्मीदवारों से हारे
दसवीं लोकसभा के लिए 1991 में चुनाव हुए. बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी को उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को प्रत्याशी बनाया. अटल बिहारी वाजपेयी इस चुनाव में लखनऊ सीट से भी चुनाव लड़ रहे थे. अटल बिहारी वाजपेयी की लखनऊ और विदिशा दोनों सीट से जीत हुई. प्रताप भानु शर्मा की हार हुई लेकिन बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने विदिशा सीट छोड़ दी.
साल 1991 में विदिशा सीट पर उपचुनाव हुए. कांग्रेस ने फिर से प्रताप भानु शर्मा पर भरोसा जताया. इस बार बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को अपना उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में चौहान की जीत हुई और शर्मा की हार. इस तरह शर्मा को एक ही साल में दो बार, एक ही पार्टी के दो उम्मीदवारों से हार झेलनी पड़ी.
प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक इस सीट से जीते
इस लोकसभा सीट से कई दिग्गजों और फेमस चेहरों ने चुनाव लड़ा. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व विदेशमंत्री सुषमा स्वराज, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान. देश के जाने-माने पत्रकार रहे रामनाथ गोयनका ने भी इसी सीट से चुनाव लड़ा.
विदिशा सीट पर 35 साल से बीजेपी का कब्जा
इस सीट पर आखिरी बार कांग्रेस ने इस सीट से 1984 में चुनाव जीता था. 1967 में इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से केवल दो बार कांग्रेस जीती है. दोनों ही बार कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा ने जीत हासिल की. साल 1967 में पहली बार इस सीट से जनसंघ के पंडित शिव शर्मा जीतकर आए.
इस सीट से सबसे ज्यादा पांच बार यानी साल 1991, 1996,1998, 1999 और 2004 में शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव जीता. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और कांग्रेस के प्रताप भानु शर्मा ने दो-दो बार चुनाव जीता. वर्तमान में इस सीट से बीजेपी के रमाकांत भार्गव सांसद हैं.
2019 का चुनावी दंगल का हिसाब-किताब
इस चुनाव में बीजेपी ने रमाकांत भार्गव को अपना उम्मीदवार बनाया और कांग्रेस ने शैलेंद्र पटेल को अपना प्रत्याशी बनाया. रमाकांत भार्गव को 8 लाख, 53 हजार, 22 वोट मिले और कांग्रेस के शैलेंद्र पटेल को 3 लाख, 49 हजार, 938 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर 5 लाख, 3 हजार, 84 रहा.
क्या है जातीय समीकरण?
इस बार के चुनाव में बीजेपी की ओर से किरार समाज यानी ओबीसी वर्ग से आने वाले शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस से सवर्ण वर्ग के प्रताप भानु शर्मा आमने-सामने हैं. इस सीट पर किरार, यादव और रघुवंशी वोट निर्णायक होगा. इसके अलावा बुंदेलखंड में आने वाली इस सीट पर जैन समाज की जनसंख्या अच्छी खासी है जो चुनाव को अलग दिशा में ले जाने के लिए काफी है. ब्राह्मण वोटर्स की आबादी भी अच्छी है जो मुकाबले को रोचक बनाने के लिए काफी है.
(SOURCE : ECI, Digital Sansad, Myneta.info)