Rewa Mukunpur Tiger Safari: गर्मी के कारण चिड़ियाघर में पर्यटकों की संख्या घट गई है. वर्तमान समय में संख्या आधी रह गई है. इससे चिड़ियाघर की के बजट पर भी असर पड़ा है. कमाई और पर्यटन संख्या आधी रह गई है. इस समय मौसम का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है. दिन में झुलसाने वाली गर्मी पड़ रही है. लोग घरों से बाहर तक नहीं निकल रहे हैं. लोग घूमने फिरने से भी परहेज कर रहे हैं. शाम को दिन ढलने के बाद ही घरों से निकलते हैं. इस गर्मी का असर मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर पर भी पड़ रहा है. गर्मी के कारण पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है. यहां पर्यटकों की भीड़ ही नहीं पहुंच रही है. इसके पीछे वजह सिर्फ गर्मी का सितम है. सामान्य दिनों की तुलना में यहां संख्या आधी हो गई है.
ये है प्रमुख वजह
सुबह 8 बजे के बाद ही धूप तेज हो जाती है और शाम 5 बजे तक धूप का असर रहता है. 6 बजे तक कुछ धूप की चमक फीकी पड़ती है. इन दोनों समय में पर्यटकों के लिए चिड़ियाघर खुल ही नहीं पाता. सुबह 9 बजे चिड़ियाघर खुलता है इसके बाद शाम 6 बजे बंद होता है. ऐसे में पर्यटक धूप की वजह से जाते ही नहीं है.
घट कर 400 से 500 तक पहुंची संख्या
सामान्य दिनों में मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर मुकुंदपुर में पर्यटकों की संख्या 700 से 800 तक रहती है. छुट्टी के दिनों में यह संख्या 2 से 3 हजार भी पहुंच जाती है. वहीं वर्तमान समय में यह संख्या 400 से 500 तक में ही सिमट गई है. रविवार को जरूर यहां थोड़ी चहल पहल दिखाई देती है. तब संख्या 700 से 800 तक पहुंचती है. इसमें भी बाहर से आने वाले पर्यटक भी शामिल हैं. जिसका असर पर्यटकों पर भी चिड़ियाघर का पूरा मैनेजमेंट चल रहा है. यहां की व्यवस्थाएं पर्यटकों से मिलने वाले खर्च से ही चल रही, मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर पर बजट संकट खड़ा हो गया है. यहां काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को दो महीने से वेतन नहीं मिला है. कर्मचारियों के सामने वित्तीय परेशानियां खड़ी हो गई हैं. परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. यहां करीब 80 आउटसोर्स और संविदा कर्मचारी हैं. इन्हें अप्रैल महीने का वेतन अब तक नहीं मिला है. कर्मचारी परेशान हैं. मई का महीना भी खत्म होने वाला है.
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वन्य जीवों को गर्मी से बचाने के इंतजाम
मार्तण्ड सिंह जूदेव चिड़ियाघर में वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए है. बाड़ों में स्प्रिंकलर लगाए गए हैं. वहीं नाइट हाउस में कूलर लगाकर मांसाहारी वन्यजीवों को ठंडक पहुंचाई जा रही है. ऐसे में पर्यटकों की संख्या घटने से यहां भी आर्थिक असर पड़ता है. शासन से बड़ा बजट नहीं मिल पाया है. लंबे समय से यहां डिमांड की जा रही है लेकिन सफलता नहीं मिली. बाद में यहीं की कमाई से यहीं का खर्च निकाला जाना शुरू कर दिया गया. कर्मचारियों के वेतन भुगतान से लेकर अन्य खर्चे इसी से चल रहे हैं. यहीं वजह है कि पर्यटकों की संख्या घटने से बजट पर भी असर पड़ना तय है. हाला की बढ़ती गर्मी से वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए किए गए खास इंतजाम, बाड़ों में लगाये कूलर और स्प्रिंकलर से गर्मी से राहत मिली है.