MP News: मध्य प्रदेश को बाघों का राज्य यानि टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन बाघों की मौत के जो आंकड़े आए हैं वो चिंता बढ़ाने वाले हैं. हालांकि पूरे भारत में बाघों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों को मुताबिक इस साल 15 दिसंबर 2023 तक भारत में रिकॉर्ड 168 बाघों की मौत हो चुकी है. ये आंकड़ा पिछले 12 सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है. जिसमें मध्य प्रदेश में मौत का आंकड़ा सबसे अधिक है.
2023 में सबसे अधिक बाघों की मौत
मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे बड़ी आबादी 785 है. इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) और महाराष्ट्र (444) में सबसे ज्यादा बाघ हैं. चिंता की बात ये है कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं और मौतें भी सबसे ज्यादा इसी राज्य में हुई हैं. 2023 में मध्य प्रदेश में अब तक 33 बाघों की मौत हो चुकी है. यहां साल 2012 से 2022 तक कुल 270 बाघों की मौत हो चुकी है. दक्षिणी अफ्रीका और नामीबिया से पिछले साल 20 बाघ भारत आए थे. इनमें से मार्च तक 6 बाघों की मौत हो गई थी.
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बाघों की मौत का कारण
मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या सबसे अधिक है. ऐसे में टेरेटरी की लड़ाई में बाघों की जान जा रही है. इसके साथ ही बाघों का शिकार भी एक बड़ा कारण है. कुछ बाघों की मौत बीमारी की वजह से भी हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों के आसपास इंसानों का दायरा बढ़ना और जंगलों के प्राकृतिक रहवास इलाकों का कम होना भी है.
‘प्रोजेक्ट टाइगर’ से बढ़ी थी बाघों की संख्या
70 के दशक में भारत में बाघों की संख्या तेजी से घट रही थी. तब भारत में बाघों की संख्या केवल 1800 थी. बाघों की खाल और मांस की बढ़ती मांग के चलते इनका शिकार बढ़ने लगा. इसे देखते हुए भारत सरकार ने 1 अप्रैल 1973 को ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की स्थापना की.
प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य बाघों की संख्या को बढ़ाना, बाघों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करना और बाघों के शिकार को रोकना था. ये दुनिया में सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण परियोजनाओं में से एक है. इस प्रोजेक्ट का फायदा ये हुआ कि भारत में बाघों की संख्या में तेजी देखने को मिली.