MP News: इंदौर शहर में लव मैरिज के एक साल में पति-पत्नी के बीच इतने विवाद हुए कि अब पत्नी ने कोर्ट से अबॉर्शन की मांग की है. महिला ने 19 सप्ताह के भ्रूण के अबॉर्शन की मांग की थी, जिसके लिए कोर्ट ने भी मंजूरी दे दी है. इसके अलावा पति-पत्नी के बीच तलाक का मामला अभी पेंडिंग है.
जानें पूरा मामला
लव मैरिज के एक साल बाद पति-पत्नी के बीच शुरू हुई अनबन कब नफरत में बदल गई पता ही नहीं चला. मामला परिजनों की समझाइश से आगे बढ़कर हाईकोर्ट तक पहुंच गया, जहां महिला के गर्भ में पल रहे 19 हफ्ते के मासूम को दुनिया में आने से पहले ही अपनी जान गंवानी पड़ी. मामला इंदौर शहर का है, जहां एक नव युगल के बीच प्यार होता है और दोनों शादी करने की इच्छा जाहिर करते हैं. शुरू में दोनों के परिजन शादी से इनकार कर देते हैं, लेकिन बच्चों की जिद के आगे दोनों ही परिवार उनकी शादी कर देते हैं.
शादी के कुछ महीनों के बाद होने लगा विवाद
शादी के कुछ महीने बाद ही पति-पत्नी के बीच अनबन होना शुरू हो गई थी. इस बीच महिला गर्भवती हो गई और बात तलाक तक जाकर पहुंच गई. महिला ने गर्भ में पल रहे अपने बच्चों को दुनिया में आने से रोकने के लिए हाई कोर्ट को शरण ली और पति की क्रूरता और दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए गर्भ में पल रहे बच्चे का गर्भपात कराने की अनुमति मांगी.
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काउंसलिंग में भी नहीं मानी महिला
कोर्ट में केस पहुंचने के बाद कोर्ट की और से महिला एडवोकेट बतौर काउंसलर नियुक्त की गई. उन्होंने पति-पत्नी की काउंसिलिंग की और पेशी के दौरान सुनवाई में जज ने भी समझाइश दी, लेकिन एजुकेटेड पति-पत्नी साथ रहने को राजी नहीं हुए. इस दौरान महिला ने कोर्ट में कहा कि पति की क्रूरता के कारण यह बच्चा दुनिया में आएगा तो उसका भविष्य खराब हो जाएगा, जिसके लिए गर्भपात कराना ही आखरी उपाय है.
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MP हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के जज और महिला वकीलों ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की, लेकिन दंपति नहीं माने और आखिरकार इंदौप बेंच की अनुमति के बाद गुरुवार को डॉक्टरों की टीम ने महिला का अबॉर्शन कर दिया.