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MP News: जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए निगम के चक्कर काट रही इंदौर की जनता, पोर्टल में दिक्कत का बहाना बना रहे जिम्मेदार

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प्रतीकात्मक चित्र

MP News: जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कितना जरूरी है, इसका पता तब चलता है जब इसकी आवश्यकता होती है. आसानी से मिल जाने वाले ये प्रमाण पत्र पिछले कई महीनो से इंदौर में बड़ी मुश्किल से भी नहीं मिल रहे. इसके चलते जरूरतमंद नगर निगम के चक्कर पर चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन उसका कोई समाधान नहीं हो रहा. इसके चलते किसी के बच्चें का स्कूल में एडमिशन रुका हुआ है, तो किसी का खसरे में नाम चढ़ना. लेकिन जिम्मेदार पोर्टल में खराबी आने का बहाना बनाकर बैठे हुए हैं, तो वही नगर निगम कर्मियों की जेब गर्म करने पर यह काम आसानी से हो जा रहे है.

इंदौर नगर निगम का दावा है कि इंदौर 311 मोबाइल एप डाउनलोड कर आप घर बैठे ही जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा सकते है. लेकिन यह एक खोखला दावा है, इस दावे की पोल नगर निगम के जन्म एवं मृत्यु पंजीयन विभाग में जाते ही खुल जाती है. इन प्रमाण पत्र के लिए यहां हर दिन ढाई सौ से 300 लोग पहुंच रहे हैं और ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इन लोगों का काम एक ही चक्कर में हो जाए, इसके लिए लोगो को कई चक्कर काटना पड़ रहे है. ये समझने के लिए हम आपको अलग अलग केस दिखाएंगे.

केस नंबर 1
प्रिया गुप्ता बर्थ सर्टिफिकेट में अपना सरनेम बदलवाना चाहती है. लेकिन उसका सरनेम नही बदलने की वजह से उसके बेटे के एडमिशन में दिक्कत आ रही है. आधार कार्ड में उसके पति का सरनेम चढ़ चुका है, लेकिन बर्थ सर्टिफिकेट में नहीं हो पा रहा है. इसके चलते वह यहां से वहा भटकने को मजबूर है.

केस नंबर 2
नितिन पूर्विया नगर निगम में अपने बेटे का जन्म प्रमाण पत्र पाने के लिए तीसरी बार पहुंचे है, लेकिन फिर भी खाली हाथ लौट रहे है. एक बार फिर उन्हें 7 दिन बाद आने का कहकर भेज दिया गया. इसके पीछे उन्हे सॉफ्टवेयर खराब होने की बात कही जा रही है. नितिन का आरोप है कि नगर निगम की लापरवाही की वजह से उन्हें परेशान होना पड़ रहा है.

केस नंबर 3 
अनवर हुसैन अपने पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र में अपने दादा दादी का नाम सही करवाने पहुंचा है. लेकिन इसके लिए अब उसे उसके दादा दादी का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. उसके पास दादी का मृत्यु प्रमाण पत्र तो है, लेकिन दादी का नही है. वह पिछले साढ़े तीन महीने से चक्कर काट रहा है. नगर निगम ने उसके दादा दादी का नाम गलत लिख दिया था.

केस नंबर 4 
गौरव बरोड़ जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आया है, पहले तो उसे अलग अलग विंडो भेजा जा रहा है, लेकिन काम नही किया जा रहा. अब उससे कह दिया गया कि 20202 के पहले के जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनेंगे.

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केस नंबर 5
रामाशंकर प्रसाद अपने भाई के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आए है. उन्हे भाई के मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता बंटवारे और बैंक में जमा करने के लिए है, लेकिन कई चक्कर काटने के बावजूद उन्हें प्रमाण पत्र नही मिल रहा, हर बार 10 दिन बाद आने का कहकर लौटा देते है.

केस नंबर 6 
लखन नामक व्यक्ति का कहना है कि जो नगर निगम इंदौर 311 एप के माध्यम से जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की बात कह रहा है, वह पूरी तरह बकवास है. उसे अपना नाम सही करवाना है, उसके लिए रुपए मांगे जा रहे है.

केस नंबर 7 
इनके अलावा बारहवी कक्षा की जैस्मिन वर्मा और उसी दोस्त भी अपनी जन्म दिनांक बदलवाने के लिए परेशान है. उनके आधार कार्ड में डेट गलत हो गई थी. सही करने के लिए उससे उसका जन्म प्रमाण पत्र मंगवाया गया, लेकिन उसके बर्थ सर्टिफिकेट में भी डेट गलत लिखी हुई है और जब वह उसे सुधरवाने पहुंची तो नगर निगम कर्मचारियों ने उसमे सुधार करने से मना कर दिया.

पोर्टल में आ रही है समस्या

विभाग के एमआईसी सदस्य अश्विनी शुक्ल का कहना है कि जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में जो समस्या आ रही है, वह पोर्टल की वजह से आ रही है. यह पोर्टल केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया जा रहा है, लेकिन जल्द ही इसमें सुधार कर लिया जाएगा. इसके बाद किसी को नगर निगम का चक्कर नहीं काटना होगा, घर बैठे ही काम हो जाएगा, इस पर काम चल रहा है.

जल्द होगा समाधान

वहीं इस पूरे मामले को लेकर निगम आयुक्त शिवम वर्मा का कहना है कि पोर्टल में आ रही समस्याओं का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं, जल्द ही इसका समाधान कर लिया जाएगा.

हर विभाग में है लापरवाही

इंदौर नगर निगम में लापरवाही हर स्थान और हर स्तर पर मिलती है. शायद ही निगम का ऐसा कोई विभाग हो जहां जाते ही व्यक्ति का काम हो जाए. निगम के कई विभाग तो ऐसे हैं, जहां रुपए दिए बिना काम ही नहीं होते. लेकिन यह लोगों की मजबूरी है कि उन्हें हर कदम पर नगर निगम की जरूरत पड़ती है. अभी तक किसी नेता या अधिकारी ने ऐसी कोई जहमत नहीं उठाई, जिससे लोगो की तकलीफ दूर हो सके.

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