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MP Politics: ‘टाइगर’ का क्या होगा? बार-बार बयानों में छलक रहा शिवराज का दर्द

shivraj singh chouhan

पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान (फोटो-@ChouhanShivraj)

MP Politics: 2023 के चुनावी नतीजों के बाद मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार तो वापस आई, लेकिन शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) सत्ता से बाहर हो गए. 2018 में सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज के ‘टाइगर जिंदा है’ वाले बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. तब बीजेपी सत्ता से बाहर हुई थी और शिवराज गरज रहे थे. ऐसे में अब सवाल ये है कि मध्यप्रदेश के सियासी जंगल में करीब 18 साल तक शेर की तरह राज करने वाले शिवराज का क्या होगा?

सत्ता से बेदखल

223 के चुनाव नतीजों के बाद शिवराज और उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि प्रदेश में शिवराज राज लौटेगा. शिवराज इतने भरोसे में थे कि उन्होंने मांगने से बेहतर मर जाना, जैसा बयान भी दिया. लेकिन बीजेपी हाई कमान ने शायद कुछ और ही तय कर रखा था. जिसकी परिणति मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के रूप में देखने को मिली. शिवराज के हाथ से सत्ता गई है और उनके अंदाज से ये नजर भी आ रहा है.

पिछले दिनों बुधनी में उन्होंने मोहन सरकार के उस फैसले को एक तरह से चुनौती दी, जिसमें सरकार ने लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध लगाया था. क्या शिवराज मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने खुश नहीं हैं या फिर उनको अभी तक ये बात हजम नहीं हो रही कि उनके हाथ से सत्ता जा चुकी है.

करते रहे हैं पीएम मोदी की तारीफ

पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को फिलहाल दक्षिण के राज्यों की जिम्मेदारी दी है. शिवराज सिंह चौहान विकसित भारत संकल्प यात्रा में शामिल हो रहे हैं, जहां वे पीएम नरेंद्र मोदी को भारत का सौभाग्य सूर्य बता रहे हैं. शिवराज ने कहा कि भारत के सौभग्य का उदय हुआ है. प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली भारत, गौरवशाली भारत, संपन्न समृद्ध भारत, एक विकसित भारत का निर्माण हो रहा है और आज पूरी दुनिया भारत की जय-जय कर रही है. शिवराज मोदी के लिए लगातार इसी तरह के बयान देते रहे हैं. लेकिन इसका सियासी फायदा अब उनको नहीं मिल रहा है.

‘मामा’ की लोकप्रियता कम नहीं

शिवराज हमेशा से पब्लिक कनेक्ट के मास्टर रहे हैं. प्रदेश में उनकी छवि बहनों के भाई और बच्चों के मामा की रही. तभी तो सीएम हाउस के बाद नए घऱ में शिफ्ट होने के बाद उन्होंने अपने घर का नाम ‘मामा का घर’ रखा है. लाड़ली बहनों का उनसे मिलकर रोना और शिवराज का ढाढ़स बंधाना बताता है कि अभी भी शिवराज बहनों के दिल में बसते हैं. लेकिन सियासत में कोई भी बात लंबी नहीं चलती. कुर्सी जाते ही संबंध बदल जाते हैं. रिश्तों की गरमाहट ठंडी पड़ने लगती है. इस बात का एहसास खुद शिवराज को भी है.

पोस्टर से गायब हो रही तस्वीरों को लेकर शिवराज ने जिस तरह का बयान दिया, वो बताता है कि राजनीति में कोई भी स्थाई नहीं होता. कुर्सी जाने के बाद पिछले दिनों फिर उनका दर्द छलका. उन्होंने कहा कि आप जब तक मुख्यमंत्री हैं तब तक आपके चरण भी कमल हैं, बाद में तो होर्डिंग से फोटो भी ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग. 18 साल तक पार्टी और सरकार का चेहरा रहने वाले शिवराज के लिए पद जाने को पचा पाना इतना आसान नहीं है.

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