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Tilak Sindoor Mandir: विश्व का एकमात्र शिव मंदिर जहां चढ़ाया जाता है सिंदूर, दर्शन करने भर से कट जाते हैं पाप!

Tilak Sindoor Mahadev Temple (file photo)

तिलक सिंदूर महादेव मंदिर (फाइल तस्वीर)

Tilak Sindoor Mandir: हिंदू मान्यता के अनुसार सावन के महीने को पवित्र माना जाता है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से प्रसन्न होते हैं. हर सोमवार के साथ-साथ पूरे महीने शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहता है. मध्य प्रदेश के बड़े शिव मंदिरों से लेकर छोटे मंदिरों तक श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है. कोई उज्जैन के बाबा महाकाल के मंदिर में जाता है तो कोई नजदीक स्थित मंदिर में जाकर माथा टेकता है. हर शिव मंदिर की अपनी अलग कहानी और महिमा है. ऐसा ही एक शिव मंदिर है जो नर्मदापुरम में स्थित है जहां भोलेनाथ को सिंदूर चढ़ाया जाता है.

विश्व का एकमात्र मंदिर, जहां सिंदूर चढ़ाया जाता है

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के इटारसी के पास स्थित तिलक सिंदूर महादेव मंदिर विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां सिंदूर चढ़ाया जाता है. इसके बारे में मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग पर जल, दूध, बिल्वपत्र के साथ सिंदूर अर्पित करने से सारे पाप कट जाते हैं. दर्शन करने मात्र से भाग्य खुल जाता है.

क्या है मंदिर का इतिहास?

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान शिव ने भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे एक अनोखा वरदान दिया था. इस वरदान के अनुसार भस्मासुर जिस भी व्यक्ति के सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा. भस्मासुर, भगवान शिव के सिर पर ही हाथ रखने के लिए दौड़ पड़ा. भस्मासुर से पीछा छुड़ाने के लिए महादेव ने सतपुड़ा की पहाड़ियों में शरण ली. आज इसी जगह तिलक सिंदूर महादेव मंदिर है.

तिलक सिंदूर नाम क्यों रखा गया?

तिलक सिंदूर महादेव मंदिर कई प्रसिद्ध साधु-संतों की तपोस्थली रही है. आज भी कई साधु यहां ध्यान और तपस्या करते हैं. ऐसी मान्यता है कि एक समय सिंदुरासुर नामक राक्षस का आतंक था. उसके कुकृत्यों के कारण आमजन बहुत परेशान थे. सिंदुरासुर राक्षस के संहार के लिए लोगों ने भगवान गणेश की आराधना की. गणेश ने राक्षस का वध किया और उसके खून से शिवलिंग का अभिषेक इसी स्थान पर किया. इसी घटना के बाद से इस मंदिर को तिलक सिंदूर महादेव मंदिर कहा जाता है.

1925 से लग रहा है मेला

इस मंदिर में साल 1925 से मेला लग रहा है, यानी 100 साल पूरे हो चुके हैं. यह मंदिर पहले मकड़ाई रियासत के नियंत्रण में था. पूजा के लिए भूमका को नियुक्त किया गया था. यहां मेले की शुरुआत 1925 में जमानी के मालगुजार ने की थी. साल 1970 से यह केसला जनपद के अंतर्गत है.

जटाशंकर पहुंच सकते हैं

मंदिर सतपुड़ा की पहाड़ियों पर घने जंगलों के बीच स्थित है. यहां साल, सागौन, शीशम, महुआ और खैर जैसे पेड़ बड़ी संख्या में हैं. तिलक सिंदूर मंदिर के बारे में कई सारी मान्यताएं हैं, इनमें से एक ये है कि यहां स्थित मंदिर मार्ग से पचमढ़ी स्थित जटाशंकर मंदिर में पहुंचा जा सकता है. ये मंदिर भी भगवान शिव को ही समर्पित है.

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कैसे पहुंचे तिलक सिंदूर महादेव मंदिर?

इटारसी, मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश का प्रमुख रेलवे स्टेशन है. यहां से तिलक सिंदूर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 18 किमी है. मंदिर तक पहुंचने के लिए पहले इटारसी रेलवे स्टेशन आना होगा. फिर यहां से यात्री बस से जमानी तक पहुंचना होगा. जमानी से आसानी से शिव मंदिर तक पहुंचा सकता है. इसके साथ ही टैक्सी और कैब बुक करके भी मंदिर तक पहुंच सकते हैं.

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