MP News: भ्रष्टाचार ऊपर से लेकर नीचे तक पसरा हुआ है और इसका असर जमीन पर नजर आने लगता है. भ्रष्टाचार का ऐसा ही नमूना बन गया है, दिव्यांग बच्चो के लिए बनाया गया नव निर्मित हॉस्टल. जिसमें तीन महीने पहले ही बच्चे आकर रहने लगे है, लेकिन उसके भवन की दीवारों में आई दरार, छत से टपकता पानी, टूटी हुई सीढ़ियां और उखड़ी हुई टाइल्स भवन निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की चीख चीखकर गवाही दे रही है. मूक, बधिर, अस्थि और नेत्र दिव्यांग बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर सुविधाएं देने के लिए शासन ने पीडब्ल्यूडी के माध्यम से राऊ में बड़ा स्कूल और छात्रावास बनाया है. यह बिल्डिंग पीडब्ल्यूडी की पीआईयू यानी प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट द्वारा बनाई गई है.
यह बिल्डिंग 2022 में बनकर तैयार हुई थी, जिसे सितंबर 2023 में सामाजिक न्याय विभाग के सुपुर्द कर दिया गया था. प्रभारी अधीक्षक प्रभात कुमार तिवारी ने बताया कि पिछले तीन महीनों से यहां 25 दिव्यांग बच्चे रह रहे है. लेकिन दिव्यांग बच्चो के छात्रावास में बच्चो के लिए फर्नीचर पर्याप्त नहीं है, बच्चे जमीन पर सोने को मजबूर है. बिल्डिंग में जगह जगह पानी टपक रहा है, कई स्थानों पर टाइल्स उखाड़ चुकी है, ब्लाइंड बच्चो की मदद के लिए लगाई गई रेलिंग उखड़ने लगी है. छत पर पानी भरने लगा है, सीढ़ियां टूटने लगी है, कई दीवारों में दरार आने लगी है. यहां गर्ल्स के लिए वार्डन नहीं होने की वजह से अभी तक लड़कियों को यहां शिफ्ट नहीं किया जा सका है. इस हॉस्टल की कैपेसिटी 100 छात्रों की है, लेकिन यहां महज 25 ही रह रहे है.
बहुत तकलीफों से पहुंचते है परिजन
शासन ने एक अच्छे कार्य के लिए यह बड़ा कैंपस बनाया है, लेकिन यहां ताकने जाने के लिए सड़क नहीं बनाई. परिजनों को बड़ी मुश्किल से बच्चो को यहां लाना पड़ता है. यदि गरीब परिजन के पास खुद का वाहन नहीं होता है तो उन्हें राऊ बायपास चौराहे से ऑटो रिक्शा चालकों को मुंह मांगा किराया देकर आना होता है.
5 साल तक ठेकेदार करेगा मेंटिनेंस
वहीं भवन निर्माण में हुई गड़बड़ियों को पीडब्ल्यूडी के पीआईयू एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय कुमार यादव सामान्य ही मानते है. उनके मुताबिक काफी समय तक यहां रहने कोई नहीं आया तो बिल्डिंग में कुछ समस्याएं हुई थी, जिन्हे सुधरवा दिया गया है. ठेकेदार की 10 प्रतिशत राशि हमारे पास जमा है, 5 साल तक ठेकेदार को ही बिल्डिंग का मेंटिनेंस करना है.
अधिकारियों को मिलता है कमीशन
लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी प्रदेश सरकार का महत्वपूर्ण विभाग है. सभी शासकीय बिल्डिंग और मुख्य रोड बनाने की जिम्मेदारी इस विभाग के पास हैं. लेकिन पिछले कई वर्षों से पीडब्ल्यूडी विभाग के ज्यादातर प्रोजेक्ट घटिया क्वालिटी के ही बन रहे है, इस वजह से यहां के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठते रहते है. दबी जुबान में ठेकेदार भी मानते है कि हर काम के लिए अधिकारियों को मोटा कमीशन देना पड़ता है.
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