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Shahdol: RTO में ‘कबाड़ की कलाकारी’, 15 साल पुरानी बस को बनाया नया! झारखंड की फर्जी एनओसी और पंचिंग नंबर दिखाया

Police have arrested two accused in the fraud case.

फर्जीवाड़े में पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

Input- कैलाश लालवानी

Shahdol News: “कागज कुछ भी कह सकते हैं” — ये कहावत शहडोल आरटीओ में सही साबित हो गई, जहां एक कबाड़ हो चुकी 15 साल पुरानी बस को झारखंड की फर्जी एनओसी, पंचिंग नंबर और सरकारी चुप्पी के दम पर दोबारा जिंदा कर दिया गया. अब सात साल बाद पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य आरोपी अब भी फरार है.

शिकायतकर्ता की सटीक सूचना से शुरू हुई कार्रवाई

इस पूरे मामले का भंडाफोड़ शिकायतकर्ता राजेन्द्र सिंह पिता श्री राम सिंह निवासी ग्राम कटया, तहसील जयसिंहनगर, जिला शहडोल की लिखित शिकायत से हुआ, जिन्होंने 2018 में सोहागपुर थाना, डीएसपी ट्रैफिक और पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया था. उनकी शिकायत पर 05 मई 2018 को एफआईआर नंबर 0249/2018 दर्ज हुई थी, लेकिन अब जाकर पुलिस ने इस केस में कार्रवाई की है.

कैसे हुआ कागजों का जादू?

बस नंबर MP18-6155, जो 1993 मॉडल की थी और मध्यप्रदेश में पंजीयन के योग्य नहीं थी. इसको फर्जी झारखंड एनओसी और नए पंच किए गए चेचिस नंबर के जरिए दोबारा रजिस्टर कराया गया. दस्तावेजों में बस को झारखंड के JH01P-4872 नंबर पर दर्शाया गया, जबकि जांच में पता चला कि यह नंबर एक मारुति वैगन आर के नाम पर पंजीकृत है.

बाबुओं ने मिलकर रचा पूरा खेल

आरटीओ कार्यालय के बाबू अनिल खरे और एम.पी. सिंह बघेल ने मिलकर इस पूरे प्रकरण को अंजाम दिया. आरटीओ अरविंद सिंह कुशराम के दस्तखत दस्तावेजों में नहीं मिले, फिर भी फाइल आगे बढ़ी और नीलमणि नामक कर्मचारी द्वारा फर्जी एनओसी ‘बाई हैंड’ वाहन मालिक को सौंप दी गई.

गौर करने वाली बात यह है कि वाहन स्वामी पुष्पेन्द्र मिश्रा, जो इस फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपी है, खुद ही फर्जी सत्यापन पत्र बनाकर लाया और उसे स्वीकार भी कर लिया गया.

टाटा की जांच टीम ने भी माना- गाड़ी में की गई छेड़छाड़

जांच के दौरान गाड़ी के चेचिस नंबर को हथौड़े से गैंडर मारकर पंचिंग करने की बात सामने आई. टाटा कमर्शियल जांच टीम ने भी पुष्टि की कि गाड़ी के असली ढांचे में तकनीकी रूप से छेड़छाड़ की गई है.

सात साल पुराने इस मामले में अब सोहागपुर थाना पुलिस ने दो आरोपियों अनिल खरे और एम.पी. सिंह बघेल को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में पेश किया है, जबकि पुष्पेन्द्र मिश्रा की गिरफ्तारी अभी बाकी है.

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