Padma Awards: गणतंत्र दिवस पर मध्यप्रदेश के कलाकारों ने देशभर में नाम रोशन किया है. दरअसल गुरुवार को घोषित हुए पद्म सम्मानों में यहां के तीन कलाकारों और एक खिलाड़ी का नाम भी शामिल है, जिसमें उज्जैन के कलाकार ओमप्रकाश शर्मा, देवास के कालूराम बामनिया, सत्येंद्र लोहिया को खेल के लिए सम्मान दिया जाएगा. इस बार कुल 132 पद्म अवार्ड दिए जाएंगे.
ओम प्रकाश शर्मा
एमपी के पंडित ओम प्रकाश शर्मा को वर्ष 2024 के पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उज्जैन के 85 साल के ओम प्रकाश शर्मा ने माच लोक रंगमंच को बचाने की दिशा में सालों तक संघर्ष किया है. उन्होंने सैकड़ों युवाओं के बीच गुम होती कला को बचाने का काम किया है. शर्मा ने 70 सालों तक मालवा की इस 200 साल पुरानी इस पारंपरिक लोक नृत्य नाटिका को बचाने का काम भी किया है. माच गायन के अलावा उन्होंने 18 नाटक लिखे. मालवी माच गीत और नाटकों के साथ उन्होंने देशभर में कई प्रस्तुतियां दी हैं. बता दें कि उस्ताद कालूराम उनके दादा थे. पांच साल की उम्र से ओमप्रकाश शर्मा ने माच और शास्त्रीय गायन की शिक्षा पिता पंडित शालीग्राम से लेना शुरू कर दिया था. वर्तमान में वो कालूराम लोक कला केन्द्र के डायरेक्टर हैं.
सत्येंद्र सिंह लोहिया
मध्य प्रदेश के ग्वालियर के अंतरराष्ट्रीय पैरा स्विमर खिलाड़ी सत्येंद्र सिंह लोहिया को पद्मश्री सम्मान मिलने जा रहा है. सत्येंद्र मूल रूप वर्तमान में इंदौर में जीएसटी विभाग में पदस्थ हैं. वो अब तक 7 नेशनल और 3 इंटरनेशनल पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं. उनके नाम 20 मेडल हैं, जिसमें 5 गोल्ड मेडल शामिल हैं. आपको बता दें कि दोनों पैर खराब होने के बाद भी वह एशिया के पहले इंग्लिश चैनल पार करने वाले पहले दिव्यांग हैं. उन्होंने 24 जून 2018 को लंदन में स्विम को करके 12 घंटे 26 मिनिट में 36 किलोमीटर का इंग्लिश चैनल पार कर लिया था.
भगवती लाल राजपुरोहित
भगवती लाल राजपुरोहित का जन्म धार में हुआ है. उनको शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएग. इनकी कर्मस्थली उज्जैन रही. उनको लेखन के लिए डॉ. राजपुरोहित शासन से राजाभोज पुरस्कार, डॉ. राधाकृष्ण सम्मान, बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं. वो महाकवि कालिदास, विक्रमादित्य, राजा भोज और लोक साहित्य पर अनेक किताबें लिख चुके हैं.
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कालूराम बामनिया
लोकगायक कबीर वाणी के लिए कालूराम बामनिया को भी इस बार पद्मश्री के लिए चयनित किया गया है. कालूराम मालवा में कबीर, गोरखनाथ, बन्नानाथ और मीरा जैसे भक्ति कवियों को सालों से जीवंत करने और आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. सिर्फ 9 साल की कम उम्र में ही अपने पिता, दादा और चाचा के साथ मंजीरा सीखना शुरू कर दिया था. जब वे 13 वर्ष के थे, तब वे घर से भाग के राजस्थान चले गए, जहां उन्होंने इस कला का विकास किया.