Pragya Thakur On ATS: महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस(Malegaon Blast Case) में बरी होने के बाद प्रज्ञा ठाकुर ने जांच कर रहे ATS के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘मुझे इस मामले में ATS के अधिकारियों ने बहुत प्रताड़ित किया. वो मुझसे कहते थे कि एक बार नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत का नाम ब्लास्ट से जोड़ दो, तो तुम्हें नहीं पीटेंगे.’
‘अवैध तरीके से हिरासत में रखकर बुरी तरह टॉर्चर किया’
शनिवार को प्रज्ञा ठाकुर भोपाल में सत्र न्यायालय में जमानत की शर्तों के तहत फॉर्मेलिटीज करने पहुंची थीं. इस दौरान वो मीडिया से मुखातिब हुईं. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘मुझे अवैध तरीके से हिरासत में रखकर बुरी तरह टॉर्चर किया गया. ATS अधिकारियों ने मुझसे नरेंद्र मोदी, मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत कई RSS पदाधिकारियों का नाम लेने के लिए कहा था. लेकिन जब मैंने झूठ बोलने से इनकार किया तो मुझे बहुत प्रताड़ित किया गया. ये सब UPA सरकार के इशारे पर हुआ. कांग्रेस भगवा को बदनाम करना चाहती है.’
कहा- ये मेरी नहीं, सनातन की जीत है
पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘ये मेरी नहीं सनातन की जीत है. कांग्रेस ने साजिश के तहत मेरे ऊपर झूठा मुकदमा दर्ज करवाया था. कांग्रेस सनातन विरोधी और आतंकवादियों को पालने वाली पार्टी है.’
17 साल बाद सभी 7 आरोपी बरी हुए
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने मालेगांव में हुए बम ब्लास्ट में 17 साल बाद फैसला सुनाया था. 31 जुलाई को कोर्ट ने मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था. यह फैसला 17 साल के लंबे मुकदमे के बाद आया है. बरी होने वालों में पूर्व बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित (सेवानिवृत्त), मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, राकेश धवड़े और सुधाकर चतुर्वेदी शामिल हैं.
इन सभी आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (UAPA), आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत आरोप थे. फैसला 31 जुलाई को सुनाया गया, जिसमें कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी को बरी कर दिया.
2008 मालेगांव ब्लास्ट
तारीख 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था. इस हमले में छह लोगों की मौत हुई और 100 से अधिक घायल हुए. यह विस्फोट रमजान के पवित्र महीने के दौरान हुआ, जिससे मामला और संवेदनशील हो गया. शुरुआत में जांच महाराष्ट्र ATS ने की थी, जिसने हिंदू चरमपंथी संगठनों पर शक जताया. बाद में मामला NIA को सौंपा गया.
