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Dhar: जीवित व्यक्ति को मृत्यु शय्या पर लिटाया, गधे पर उल्टा बिठाकर पूरे गांव में घुमाया; बारिश के लिए किसान कर रहे टोना-टटका

To bring rain in Dhar, a living person was laid on his death bed and was taken around upside down on a donkey.

धार में बारिश करवाने के लिए जीवित व्यक्ति को मृत्यु शय्या पर लिटाया गया और गधे पर उल्टा बिठाकर घुमाया गया.

Input: जफर अली

Dhar News: मध्य प्रदेश के धार जिले में जीवित व्यक्ति को मृत्यु शय्या पर लिटाकर पूरे गांव में घुमाया गया. मानसून की बेरुखी से परेशान किसान टोना-टटका कर रहे. सरकार चाहें कितनी ही तकनीक और विज्ञान की बातें कर ले, लेकिन जब आसमान से बूंदें नहीं गिरतीं, तो गांव की उम्मीदें फिर से परंपरा और आस्था की ओर लौट जाती हैं. मध्यप्रदेश के धार जिले में बारिश की बेरुखी के चलते अब ग्रामीण टोने-टोटकों का सहारा ले रहे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि जब धरती प्यासी हो, तो आसमान को मनाना ही पड़ता है.

जून के आखिर से बारिश रुकी हुई है

धार जिले में इस बार मानसून ने शुरुआत तो जोश के साथ की थी, लेकिन जून के अंत के बाद जैसे बारिश थम गई. नतीजा यह हुआ कि जिन किसानों ने खेतों में समय पर बोवनी कर दी थी, अब उनकी फसलें तेज धूप और सूखे की मार झेल रही हैं. खेतों में दरारें दिखने लगी हैं और फसलों की हरियाली मुरझाने लगी है.

बारिश की इस बेरुखी ने किसानों के माथे पर चिंता की रेखाएं खींच दी हैं. लेकिन गांव के लोग हिम्मत हारने वालों में से नहीं हैं. जब आसमान रूठा तो उन्होंने इंद्रदेव को मनाने की ठान ली.

देवताओं को लड्डू-चूरमा का भोग लगाया

लबरावदा गांव में ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से “बाग रसोई” का आयोजन किया. खुले आसमान के नीचे देवताओं को लड्डू-चूरमा का भोग लगाया गया और सामूहिक भोजन कर बारिश के लिए विशेष प्रार्थना की गई. इस आयोजन में पूरे गांव के परिवार शामिल हुए. महिलाएं सावन के झूलों में झूलती रहीं, तो पुरुष पूजा में लीन रहे.

ग्राम खीलेड़ी में मानो टोने-टोटकों की पूरी झांकी दिखी. गांव के पंडित द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ हवन-पूजन किया गया और फिर एक अनोखा टोटका शुरू हुआ.

गांव के एक जीवित व्यक्ति को मृतक की तरह शय्या पर लिटाकर पूरे गांव में घुमाया गया. इस दौरान उस व्यक्ति को हर मंदिर में दर्शन करवाए गए. इसके साथ ही एक अन्य ग्रामीण को गधे पर उल्टा बैठाकर पूरे गांव में घुमाया गया. मान्यता है कि इन परंपराओं से इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और बारिश अवश्य होती है.

काकड़ पूजन भी किया गया

गांव पटेल द्वारा काकड़ पूजन की परंपरा भी निभाई गई, जिसमें गांव की सुख-शांति और वर्षा के लिए विशेष अनुष्ठान किया गया. ग्रामीणों का मानना है कि ये परंपराएं वर्षों पुरानी हैं और जब भी बारिश नहीं होती, इन टोनों से इंद्रदेव प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं. हमने कई बार ऐसा किया है, और हर बार बारिश आई है.

विज्ञान और मौसम विज्ञान अपने स्थान पर हैं, लेकिन जब बात उम्मीदों की हो, तो गांव वाले आस्था और एकता से वो कर दिखाते हैं जो विज्ञान भी नहीं समझ पाता. अब देखना ये होगा कि इन अनोखे आयोजनों के बाद इंद्रदेव धरती पर कृपा बरसाते हैं या नहीं.

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