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जयंती विशेष: दिग्गज गजलकार का ऑटोग्राफ लेने पहुंचे राहत साहब ने जब पहली बार पढ़ी शायरी तो सुनते रह गए लोग, गूंज उठी तालियों की गड़गड़ाहट

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राहत इंदौरी (फाइल फोटो)

Rahat Indori: मशहूर शायर और शेर-ओ-शायरी के ‘जादूगर’ कहे जाने वाले राहत इंदौरी की आज जयंती. पूरा देश उनकी 75वीं जयंती मना रहा है. उनका जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था. उनके करियर की शुरुआत एक पेंटर के रूप में हुई, जो बैनर और पोस्टर बनाता था. एक बार जब 9वीं क्लास में राहत साहब ने पहली बार शायरी पढ़ी तो सब उन्हें सुनते रह गए. यहां तक की दिग्गज गजलकार जांनिसार अख्तर भी उनके मुरीद हो गए और मुशायरे में तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही.

इंदौर में हुआ जन्म, पूरी दुनिया में किया नाम रोशन

शायर राहत इंदौरी का जन्म इंदौर जिले के परदेशीपुरा इलाके में हुआ था. कुछ समय बाद उनका परिवार इंदौर के नयापुरा में शिफ्ट हो गया. परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण राहत कुरैशी ने छोटी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. वह पेंटर थे और बैनर-पोस्टर बनाते थे.

जब पहली बार पढ़ी शायरी

राहत इंदौरी जब 9वीं क्लास के छात्र थे तब उन्होंने पहली बार शायरी पढ़ी थी. उनके स्कूल में मुशायरा का आयोजन हुआ. राहत साहब दिग्गज गजलकार जांनिसार अख्तर से ऑटोग्राफ लेने के लिए पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गजलकार अख्तर से कहा कि वह भी शेर पढ़ना चाहता हैं. इसके लिए क्या करना होगा. सवाल सुन गजलकार अख्तर ने राहत साहब से कहा कि पहले कम से कम पांच हजार शेर याद करो. इस पर राहत साहब ने जवाब दिया कि यह तो उन्हें पहले से याद है.

इसके बाद जांनिसार साहब ने राहत इंदौरी को अपने साथ शेर कहने के लिए कहा. जैसे ही जांनिसार साहब ने पहला वाक्य कहा- ‘हमसे भागा न करो दूर गजालों की तरह,’ तुरंत राहत साहब ने दूसरा वाक्य कहा- ‘हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह…’ यह सुन मुशायरे में तालियों की गड़गड़ाहट की गूंज उठ गई.

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कैसे हुआ राहत इंदौरी नाम?

राहत इंदौरी का बचपन का नाम कामिल था. इसके बाद उनका नाम राहत उल्लाह हुआ. इंदौर में जन्मे राहत साहब को इंदौर और शहर की माटी से काफी लगाव था. बाद में उन्होंने अपने नाम में इंदौरी जोड़ लिया और इस तरह वह राहत इंदौरी कहलाने लगे.

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