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Ram Mandir: ‘पेट्रोल बम से हमला, पत्थर बरसाए, फिर CBI जांच’, ग्वालियर के कारसेवक ने बयां की 30 साल पुरानी पीड़ा

Gwalior

ग्वालियर के कारसेवक जयप्रकाश

Ram Mandir Inauguration: 7 दिसंबर 1992 को जब मैं अयोध्या से लौटा तो रास्ते में कई जगह हमारे ऊपर पत्थर फेंके गए. पेट्रोल बम से ट्रेन पर हमले भी हुए. जब घर ग्वालियर पहुंचा तो राम मंदिर आंदोलन में भाग लेने के कारण मेरे पुलिस अधिकारी पिता को लाइन अटैच कर दिया गया. सालों पहले हुई इस पीड़ा को ग्वालियर के जयप्रकाश राजौरिया भूल चुके हैं. अब उन्हें सिर्फ याद है तो वो फैसला जिसने राम मंदिर बनाने की अनुमति दी.

विस्तार न्यूज से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि उस वक्त राम मंदिर बनने के लिए जो मेहनत वो अब रंग ला रही है. आपको बता दें कि जयप्रकाश उन कारसेवकों में से जो कि विवादित ढांच गिरने के कारण घायल हो गए थे. उस वक्त अयोध्या के श्रीराम अस्पताल में उनको देखने राजमाता सिंधिया और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता पहुंचे थे.

कैसे कारसेवक अयोध्या पहुंचे  थे-

जयप्रकाश राजौरिया ने बताया कि अयोध्या में कारसेवा के लिए ग्वालियर से चार समिति बनाई गई थी. मुझे रक्षा समिति का प्रमुख बनाया था. उस वक्त मेरी उम्र सिर्फ 20 साल थी. इस समिति में मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा भी थे. मैं जोश से भरा हुआ था, अपने साथियों के साथ 29 नवंबर 1992 को बरौनी एक्सप्रेस से लखनऊ पहुंचा. वहां से अयोध्या के लिए ट्रेन ली. जब वहां पहुंचे तो देखा कि स्टेशन पर देश भर से लोग आए हैं. वो दृश्य मिनी इंडिया की तरह था. जहां अलग-अलग राज्य से लोग सिर्फ अपने रामलला के लिए आए थे.

चोट के निशान आज भी हैं

जयप्रकाश राजौरिया ने 6 दिसंबर को याद करते हुए बताया कि उस दिन अयोध्या में विवादित ढांचे का एक हिस्सा मेरे सिर पर आकर गिर गया. जिसकी चोट के निशान आज भी मेरे सिर पर हैं. उस वक्त कारसेवक में बहुत जोश था, उन्होंने मुझे तुरंत अस्पताल पहुंचाया. जहां घायलों से मिलने बड़े-बड़े नेता भी पहुंचे थे. हालांकि इसके बाद यूपी में सरकार को गिरा दिया गया और राष्ट्रपति शासन लग गया है. जिसके चलते कारसेवक को तुरंत ही अयोध्या से वापस निकलना पड़ा.

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7 दिसंबर को कारसेवक तंबू में रामलला को स्थापित करके वापस अपने घर लौट रहे थे. इस दौरान उन पर कई जगहों पर हमले हुए. जयप्रकाश राजौरिया उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि शायद रामजी की कृपा से ही हम बच पाएं. हमारे सामने पेट्रोल बम से हमले हुए, कारसेवकों पर पत्थर बरसाए गए. जिसमें बहुत ही मुश्किल से बचकर मैं अपने शहर ग्वालियर पहुंचा.

CBI ने पुलिस को किया परेशान-

जयप्रकाश अयोध्या अपने पिता को बिना बताए ही गए थे. मगर इस आंदोलन में भाग लेने के कारण उन पर सीबीआई जांच हुई. उनके पिता खंडवा में सीएसपी थे जब यह बात सामने आई कि  बेटा आंदोलन में भाग लेने गया था, तो पिता को सबसे पहले लाइन अटैच करवा दिया. जयप्रकाश की बढ़ती गतिविधियों के चलते बाद में पिता को जगदलपुर और बालाघाट जैसे जिलों में ट्रांसफर किया गया.

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