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MP News: एमपी में चीतों को मिलेगा नया आशियाना! रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अगले साल तक आएंगे अफ्रीकी चीते

African leopards to arrive in Rani Durgavati Tiger Reserve

रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में आऐंगे अफ्रीकी चीतें

MP News: मध्य प्रदेश के वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में अफ्रीका से चीतों को लाने और बसाने की प्रक्रिया अब तेजी पकड़ चुकी है. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत नौरादेही क्षेत्र में चीतों के पुनर्वास के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन को बजट जारी कर दिया गया है. इसके बाद यहां क्वारंटाइन बाड़ा और सॉफ्ट रिलीज बाड़ों का निर्माण शुरू कर दिया गया है. चीतों की सुरक्षा और मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका को ध्यान में रखते हुए लगभग 20 किलोमीटर लंबी फेंसिंग तैयार की जा रही है.

बजट के बाद बाड़ा निर्माण कार्य शुरू हुआ

बजट उपलब्ध होते ही नौरादेही टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने तेजी से बाड़ा निर्माण का काम आरंभ कर दिया है. टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए. ए. अंसारी के अनुसार, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की विशेषज्ञ टीम जल्द ही रिजर्व पहुंचकर आवश्यक दिशा-निर्देश देगी, जिससे काम और अधिक गति पकड़ लेगा. विशेषज्ञ टीम ने अप्रैल और मई के दौरान क्षेत्र का निरीक्षण किया था और चीतों को बसाने के लिए प्रबंधन को कई सुझाव दिए थे, जिनमें सुरक्षा, भोजन और पानी की उपलब्धता तथा मानव संघर्ष से बचाव से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु शामिल थे.

टीम ने अपने निरीक्षण के दौरान सागर और दमोह की सीमा से लगे जंगलों को चीतों के लिए अत्यंत उपयुक्त बताया था. इसमें सागर के मोहली और सिंगपुर रेंज के साथ दमोह की झापन रेंज का लगभग 600 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है. मानव संपर्क की संभावनाओं को कम करने के लिए इसी क्षेत्र में 20 किलोमीटर लंबी फेंसिंग की जा रही है. टाइगर रिजर्व प्रबंधन को अब तक लगभग पांच करोड़ रुपये का बजट प्राप्त हो चुका है, जिसके चलते फेंसिंग और बाड़ों के निर्माण में तेजी आई है.

2026 की गर्मियों में लाए जा सकते हैं अफ्रीकी चीतें

अनुमान है कि यह पूरी तैयारी पूरी होने के बाद वर्ष 2026 की गर्मियों में अफ्रीकी चीतों को यहां लाया जा सकता है. विशेषज्ञों की सिफारिश के आधार पर जल स्रोत बढ़ाने, घास के मैदान विकसित करने और शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि जैसे कार्य भी प्रारंभ कर दिए गए हैं. जहां-जहां विस्थापन का कार्य चल रहा है, वहां घास के मैदान विकसित किए जा रहे हैं और उन तीन रेंजों में जलस्रोतों की संख्या बढ़ाई जा रही है, जिनमें चीतों के बसाने का प्रस्ताव है.

डॉ. अंसारी के अनुसार, चीता प्रोजेक्ट के तहत प्राप्त पांच करोड़ रुपये से क्वारंटाइन बाड़ा, चार सॉफ्ट रिलीज बाड़े और लगभग 20 किलोमीटर लंबी फेंसिंग का निर्माण किया जा रहा है, ताकि पहले चरण में चीतों के आगमन पर उन्हें सुरक्षित वातावरण में रखा जा सके और सफलतापूर्वक अनुकूलन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके.

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