Tansen Samaroh: तानसेन समारोह के 101वें समारोह में दूसरे दिन शाम को बैठक में सुविख्यात सरोद वादक एवं पद्मविभूषण उस्ताद अमजद अली खान अपने दोनों बेटों अमान अली खान और अयान अली खान के साथ पहुंचे. उस्ताद अमजद अली खान ने मंच से शिकायत करते हुए कहा कि में अच्छा हूं या बुरा हूं लेकिन ग्वालियर का हूं. मुझे शिकायत ये है कि मुझे ये मौका 12 साल बाद मिला. इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव और कलेक्टर रुचिका चौहान का आभार व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि मेरी दिली तम्मन्ना है कि हमारे परिवार से एक व्यक्ति आकर हर साल इस समारोह के पहले दिन हाजिरी दे. हम भी महान संगीतज्ञ मियां तानसेन की परंपरा से आते हैं.
बेटों के साथ कई प्रस्तुतियां दीं
अमजद अली खान ने ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए जे पीर पराई जाने रे..’ से शुरुआत की. फिर रघुपति राघवराजा राम पर प्रस्तुति दी. वंदे मातरम को उन्होंने अपने संगीत के संगीत से उकेरा. इसके बाद अपने बेटों अमान अली खान और अयान अली खान बंगश के साथ समा बांध दिया. जिसे सुनकर मौजूद श्रोतागण तालियां बजाते रहे.
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रागश्री की शानदार प्रस्तुति दी
उस्ताद अमजद अली खान ने कहा कि आप लोगों का जोश देखकर लगा रहा है कि पूरी रात बजाता रहूं, लेकिन हमारे बाद भी कई कलाकार हैं जिन्हें आपको सुनना है. उन्होंने तानसेन समारोह के पावन मंच पर प्रस्तुति देने को अपने लिए सौभाग्य और गर्व का क्षण बताते हुए श्रोताओं का अभिवादन किया. अपनी प्रस्तुति के लिए उन्होंने अनुष्ठान के राग श्री का चयन किया. आलाप में मद्धम से आरम्भ होकर राग की गंभीरता और गरिमा को उन्होंने अत्यंत संयमित और सधे हुए स्वर-विन्यास में उकेरा.
