Vistaar NEWS

MP News: छिंदवाड़ा में कफ सिरप से 10 मासूमों की मौत का मामला गरमाया, उमंग सिंघार ने दोषी दवा निर्माता कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की

Leader of the Opposition Umang Singhar

नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार

MP News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया विकासखंड में फ़र्ज़ी सिरप के कारण 10 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत को लेकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा यह घटना प्रदेश के भ्रष्ट और खराब सिस्टम का नतीजा है.

उमंग सिंघार ने स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था पर उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज मध्य प्रदेश के हॉस्पिटलों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. कहीं चूहे काट रहे हैं, कहीं सुविधाओं का अभाव है, कहीं डॉक्टर नहीं हैं और कहीं दवाएं नहीं हैं. जो दवाएं उपलब्ध हैं, उनमें भी नकली या अमानक दवाएं मिल रही हैं.

सिंघार ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार सरदार वल्लभभाई पटेल नि:शुल्क औषधि वितरण योजना के तहत दवा वितरण करती है. इस स्कीम के तहत दवा बांटने के लिए सरकार जो दवाएं खरीदती है, उनके सैंपल की जांच मध्य प्रदेश ड्रग कॉर्पोरेशन करता है. उससे पूर्व इन दवाओं की जांच Manufacture Standard Testing Protocol के तहत होती है.

कई जिलों में हो चुकी है दवांए एक्‍सपायर – सिंघार

सिंघार ने कहा कि नवंबर 2024 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, छिंदवाड़ा और ग्वालियर सहित कई जिलों में 11 करोड़ रुपये से अधिक की 263 दवाएं एक्सपायर हो गईं. उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में दवाओं का प्रोक्योरमेंट, परचेज और मैनेजमेंट बहुत खराब है. टेंडर फाइनल करने में एक साल से ज्यादा का वक्त लग गया. उन्‍होंने कहा कि कई जिलों में एक ही दवा के स्टैंडर्ड रेट कंट्रोल में वेरिएशन है.

उमंग सिंघार ने आगे कहा कि इसी तरह, मध्य प्रदेश विधानसभा में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, अप्रैल 2021 से जून 2025 के बीच सरकारी प्रयोगशालाओं में परीक्षण किए गए 229 दवा नमूनों में से 138 नमूने “अमानक” पाए गए. इनमें कई उत्पादों के लाइसेंस रद्द किए गए और कुछ कंपनियों पर कार्रवाई अब भी लंबित है. उन्‍होंने कहा कि यह साफ करता है कि प्रदेश की दवा गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पर्याप्त मजबूत नहीं है और इसमें गंभीर सुधार की आवश्यकता है.

पूरे मामले में उमंग सिंघार ने रखे सवाल

उमंग सिंघार ने कहा कि प्रोटोकॉल के अनुसार दवा सैंपल की जांच 72 घंटे में होनी चाहिए, लेकिन 29 सितंबर को भेजे गए सैंपल की रिपोर्ट आने में 6 दिन लग गए. इस देरी ने और मौतों को न्योता दिया.

सिंघार ने कहा कि इस बीच, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने भ्रम फैलाया. उन्होंने कहा, “कफ सिरप से मौतें नहीं हुईं, यह अफवाह है.” तीन सिरपों के प्रारंभिक टेस्ट क्लीन आने पर उन्होंने कंपनी को क्लीन चिट दे दी, जबकि 12 सिरपों के सैंपल लंबित थे. बाद में उन्होंने सफाई दी कि यह बयान सिर्फ तीन सिरपों के बारे में था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

उमंग सिंघार ने आगे कहा कि अगस्त 2025 के विधानसभा सत्र में 139 अमानक दवाओं की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, लेकिन उस पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. वहीं जबलपुर हाईकोर्ट में अमानक दवाओं पर जनहित याचिका दायर हुई, अदालत ने नोटिस जारी किया, लेकिन सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि पिछले साल इंदौर के बड़े सरकारी अस्पताल में नकली लाइफ-सेविंग ड्रग्स मिली थीं. कार्रवाई के नाम पर केवल स्टॉक को सीज़ किया गया, दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

उमंग सिंघार ने सरकार के सामने रखी मांग

सिंघार ने कहा कि मृत बच्चों के परिजनों को उचित मुआवज़ा दिया जाए और प्रभावित बच्चों को नि:शुल्क एवं समुचित इलाज उपलब्ध कराया जाए. उन्‍होंने कहा कि दोषी दवा निर्माता कंपनियों और संबंधित अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए. वहीं दवा गुणवत्ता की व्यापक जांच प्रदेश के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों/फार्मेसियों में उपलब्ध कफ सिरप और अन्य दवाओं की तत्काल सैंपलिंग व लैब टेस्टिंग की जाए.

ये भी पढे़ं- जानलेवा कफ सिरप! छिंदवाड़ा में 3 और बच्चों की गई जान, किडनी फेलियर से अब तक 9 की मौत

उन्‍होंने कहा कि राज्य की ड्रग कंट्रोल एवं दवा गुणवत्ता जांच प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ किया जाए, आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए. नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच कराई जाए ताकि जिम्मेदारों की भूमिका स्पष्ट हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं.

Exit mobile version