MP News: मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान खरीदने वाली नागरिक आपूर्ति निगम की आर्थिक हालत बिगड़ चुकी है. हालत यह है कि निगम की कुल देनदारी 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है और रोज़ाना लगभग 14 करोड़ रुपये केवल ब्याज चुकाने में खर्च हो रहे हैं. राज्य का मानना है कि केंद्र सरकार से समय पर भुगतान न मिलने की वजह से यह संकट और गहरा गया है.
विधानसभा में मंत्री ने बताया विभाग का बकाया ब्याज
विधानसभा में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि बढ़ते बकाए ने ब्याज का बोझ भी बढ़ा दिया है. पिछले वर्षों में समर्थन मूल्य पर खरीद और उसके संचालन के लिए निगम को भारी कर्ज लेना पड़ा. मार्च 2021 में 37,381 करोड़ रुपये का कर्ज था, जो मार्च 2022 में 44,612 करोड़ रुपये तक पहुंचा.
मार्च 2023 में यह घटकर 39,442 करोड़ रुपये हुआ, लेकिन आगे फिर बढ़ते हुए मार्च 2024 में 35,998 करोड़ और मार्च 2025 में 47,652 करोड़ रुपये हो गया. अब 13 नवंबर 2025 तक बकाया 62,944 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है.
दबाव में मानकों पर खरी नहीं उतरने वाली फसल भी खरीद ली जाती है
मंत्री राजपूत ने कहा कि कई बार दबाव में ऐसी उपज भी खरीद ली जाती है जो भारतीय खाद्य निगम मानकों पर खरी नहीं उतरती. ऐसे में जब तक एफसीआई उस अनाज को केंद्रीय पूल में शामिल कर भुगतान जारी नहीं करता, तब तक ब्याज का पूरा भार राज्य के निगम पर पड़ता है.
भुगतान मिलने के बाद भी राशि का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा अंतिम समायोजन तक रोका जाता है. राज्य सरकार केंद्र से लंबित भुगतान जल्द जारी करने की मांग कर रही है, ताकि ब्याज का बोझ कम हो सके और रबी–खरीफ सीज़न की खरीद बिना बाधा जारी रखी जा सके.
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