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Gwalior: 26 दिन में कैसे ठगे 2 करोड़ 52 लाख रुपये? जानिए MP के सबसे बड़े डिजिटल अरेस्ट की पूरी कहानी

Digital Arrest(File Image)

फाइल इमेज

Digital Arrest: ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन के सचिव के साथ प्रदेश के सबसे बड़े डिजिटल ठगी के मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. ठगी के महज एक हफ्ते के अंदर ही ग्वालियर पुलिस की SIT ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें ज्यादातर निजी बैंक के कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं. पिछले लंबे समय से डिजिटल ठगी के देश भर में हजारों मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन यह जानकर पुलिस भी हैरान है कि ठगों के इस रैकेट में निजी बैंक के अधिकारी और कर्मचारी भी मिले हुए हैं.

बंधन बैंक में 10 लाख ट्रांसफर करने पर हुई गिरफ्तारी

पिछले हफ्ते ग्वालियर में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव सुप्रियदीपतानंद को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने के नाम पर 26 दिन डिजिटल अरेस्ट करके दो करोड़ 52 लाख रुपए की ठगी कर ली गई थी. घटना पर संज्ञान लेते हुए ग्वालियर पुलिस ने तुरंत SIT का गठन किया. सबसे पहले टीम ने यह देखा कि पैसा कहां और किसके खाते में ट्रांसफर किए गए हैं. पुलिस ने जांच में पाया कि उज्जैन जिले के बंधन बैंक में 10 लाख रुपए ट्रांसफर हुआ है. आरोपियों ने स्वामी से ठगे लगभग 10 लाख रुपये सब्जी बेचने वाले राहुल कहार के खाते में ट्रांसफर किए थे. जिसके बाद एसआईटी ने कार्रवाई करते हुए उज्जैन में बैंक से जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड उदयराज है. SIT ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें बंधन बैंक का शाखा प्रबंधक विश्वजीत बर्मन शामिल है. यह ठगों के के कहने पर बैंक में खाता खुलवाता था.

3 महीने में बैंक खातों से निकाले 3 करोड़ रुपये

आरोपी शुभम राठौड़ बैंक के ऑफिस बॉय हिमांशु से मिलकर ठगों के लिए फर्जी खाते खोलता था. एक अन्य आरोपी काजल जैसवाल उज्जैन बैंक में कैशियर है. जो ठगों के खातों से पैसे निकालने और ट्रांसफर करने का काम करती थी. वहीं आरोपी तुषार गोमे नागदा जो मास्टरमाइंड उदयराज का साथी है और 3 महीने में बैंक खातों से 3 करोड़ रुपये निकाल चुका है. जबकि किशोर विनाज्ञा नाम का आरोपी ठगी से ऐंठे गए पैसों को खातों से निकालने का काम करता था.

खाता खुलवाने के लिए 5 हजार देते थे

SIT जांच में सामने आया कि साइबर क्रिमिनल बैंक अधिकारियों से मिलकर खाता खुलवाे के लिए 5 हजार रुपये देते थे और हर ट्रांजैक्शन पर खातेदार को रकम पहुंचाते थे. यानी ये खाते किराए पर लेते थे. बैंक कर्मचारी खाते से संबंधित सभी जरूरी दस्तावेज पासबुक, चेक बुक , एटीएम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के राइट्स अपने पास ही रखते थे. सिर्फ इतना ही नहीं ये बैंक कर्मचारी पुलिस की सूचना ठगों तक पहुंचाने का काम भी करते थे. फिलहाल ये सभी बैंक कर्मचारी पुलिस की रिमांड पर हैं और पूछताछ में इनसे और भी कई खुलासे से हो सकते हैं.

रकम बरामद करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती

उज्जैन के अलावा लगभग एक करोड़ 30 लाख रुपए की राशि इइंडसइंड बैंक में एक कंपनी के खाते में भी ट्रांसफर की गई है. यह खाता प्राइवेट कंपनी के नाम पर है. SIT इसकी भी पड़ताल कर रही है. मध्य प्रदेश के सबसे बड़े डिजिटल अरेस्ट के आरोपियों को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन रकम बरामद कर पाना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है.

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