MP News: सीहोर स्थित VIT यूनिवर्सिटी में मंगलवार की रात हॉस्टल में खराब खाने और दूषित पानी के कारण कई छात्रों की तबीयत बिगड़ने पर देर रात छात्रों ने परिसर में जोरदार हंगामा कर दिया. इस दौरान आक्रोशित छात्रों ने कैंपस में खड़ी बसों और कारों में आग लगा दी और प्रबंधन के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. बढ़ते विवाद के बाद यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने 8 दिसंबर तक अवकाश घोषित कर दिया.
बताया जा रहा है कि हॉस्टल में परोसे जा रहे खराब भोजन और असुरक्षित पानी से लंबे समय से छात्र परेशान थे, लेकिन समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा था. मंगलवार रात छात्रों की तबीयत बिगड़ने के बाद गुस्सा भड़क उठा और छात्र विरोध में उतर आए. उन्होंने कैंपस में नारेबाजी की और प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
इस पूरे मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी गंभीरता से संज्ञान लिया है. आयोग ने यूनिवर्सिटी और सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. नोटिस के अनुसार, भोपाल निवासी एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि VIT यूनिवर्सिटी, भोपाल में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ है, जहां खराब खाने, असुरक्षित पानी और गंदगी के कारण कई छात्रों को पीलिया हो गया. शिकायत में यह भी कहा गया है कि प्रशासनिक कार्रवाई में लापरवाही और पारदर्शिता की कमी के चलते छात्रों का विरोध हिंसक रूप ले गया. इसके साथ ही हेल्थ डाटा छिपाने की आशंका भी जताई गई है. शिकायतकर्ता ने आयोग से स्वतंत्र जांच, स्वास्थ्य ऑडिट और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है. आयोग का कहना है कि लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया मानवाधिकार उल्लंघन को दर्शाते हैं.
राज्य सरकार ने लिया था संज्ञान
वहीं, मामला तूल पकड़ने के बाद राज्य सरकार भी सक्रिय हो गई है. शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जांच के निर्देश दिए हैं. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसे तीन दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए सीहोर जिले की प्रभारी मंत्री कृष्णा गौर को तुरंत VIT पहुंचकर छात्रों और प्रबंधन से चर्चा करने तथा स्थिति का आकलन कर आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
सरकारी हस्तक्षेप के बाद छात्रों को न्याय और बेहतर सुविधाओं की उम्मीद बंधी है. अब जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि लापरवाही किस स्तर पर हुई और जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की जाएगी.
