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MP News: मध्य प्रदेश कांग्रेस में ‘ऑल इज़ वेल’ नहीं, नायक के इस्तीफे और नेताओं की नाराजगी पर उठे सवालों ने खोली पोल

MP Congress meeting file photo

एमपी कांग्रेस बैठक (फाइल फोटो)

MP News: कांग्रेस आज अपना 140वां स्थापना दिवस मना रही है. लेकिन इस स्थापना दिवस के मौके पर मध्य प्रदेश कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. संगठनात्मक बैठकों में उभरती नाराजगी और खुलकर रखे गए सवालों ने पार्टी के भीतर चल रहे तनाव को सतह पर ला दिया है. हालात ऐसे हैं कि कांग्रेस के मीडिया विभाग से लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में असंतोष की चर्चा तेज हो गई है.

कांग्रेस मीडिया अध्‍यक्ष ने दिया पद से इस्‍तीफा

कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस इस्तीफे को संगठन के भीतर बढ़ती असहजता और आपसी समन्वय की कमी से जोड़कर देखा जा रहा है. दो दिन पहले प्रदेश कार्यालय में हुई बैठक भी अंदरूनी मतभेदों को उजागर करती नजर आई. इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल की नाराजगी खुलकर सामने आई. 26 दिसंबर को प्रदेश कार्यालय भोपाल में हुई प्रबंध समिति, जिलाध्यक्षों और विभाग प्रमुखों की संयुक्त बैठक में इन दोनों नेताओं का असंतोष साफ दिखाई दिया.

बीएलए जमीन पर सक्रिय नहीं है – सिंघार

बैठक में प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मौजूद थे. बैठक के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने संगठनात्मक दावों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बीएलए-2 (बूथ लेवल एजेंट) की संख्या जितनी कागजों में बताई जा रही है, जमीन पर उतनी सक्रिय नहीं है. सूत्रों की मानें तो उन्होंने यहां तक कहा कि यदि नेतृत्व को भरोसा न हो, तो बीएलए-2 का प्रादेशिक सम्मेलन कराकर हकीकत सामने लाई जा सकती है. सिंगार का यह बयान सीधे तौर पर संगठन की जमीनी तैयारी पर सवाल के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर घर के अंदर बैठे रहेंगे, तो हकीकत पर बात नहीं हो पाएगी.

कमलेश्वर पटेल ने मंडल अध्‍यक्षों की नियुक्तियों पर जाहिर की नाराजगी

इसी बैठक में कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य कमलेश्वर पटेल ने मंडल अध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा कि मंडल अध्यक्ष बनाए जाने से पहले सभी वरिष्ठ नेताओं और संबंधित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों की राय नहीं ली गई, जिससे असंतोष की स्थिति बनी है. उनका कहना था कि केवल बोलने से सरकार नहीं बनेगी. ब्लॉक स्तर के नीचे संगठन ही मजबूत नहीं है. अब जो पदाधिकारी बनाए गए हैं, उन्हें एकजुटता दिखानी होगी और आगे किसी भी तरह का एकतरफा फैसला नहीं लिया जाना चाहिए.

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