Bhopal: मध्य प्रदेश की राजधानी में ठंड का साइड इफेक्ट सामने आना शुरू हो गया है. कड़ाके की सर्दी के कारण सड़क पर सोने वाले तीन भिखारियों की मौत हो गई. भोपाल में एक दशक के बाद एक ही रात में सर्दी की वजह से तीन भिखारियों ने सड़क पर दम तोड़ दिया.
भोपाल में कड़ाके की सर्दी
भोपाल में रात का तापमान 7 डिग्री तक पहुंच चुका है. कड़ाके की सर्दी की शुरुआत हो गई है. आने वाले दिनों में रात का तापमान 2 से 3 डिग्री तक पहुंच सकता है. ऐसे में खुले में सोना लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है. सर्दी में खुले में सोने वालों की मौत भी हो रही है.
एक दशक बाद एक ही रात में 3 लोगों की मौत
राजधानी में एक दशक बाद एक ही रात में तीन लोगों की मौत हुई है. तीनों भिखारी सड़क पर सो रहे थे. हनुमानगंज में 2 और कोतवाली इलाके में 1 भिखारी का शव मिला है. भोपाल सहित प्रदेश के रैन बसेरे में ठंड से बचने के लिए इंतजाम करने के लिए सरकार ने निर्देश दिए हैं. भोपाल के 11 रैन बसेरे में करीब 7 हजार लोग रात बिताते हैं. नगर निगम ने रैन बसेरों में रुकने वालों के लिए बिस्तर और कंबल की भी व्यवस्था की है. साथ ही दावा यह किया जा रहा है कि रात के समय नगर निगम की टीम सड़क या फिर फुटपाथ पर रात बिताने वालों को भी रैन बसेरे में लेकर आते हैं.
राजधानी में प्रदूषण
इसके अलावा भोपाल में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए NGT ने नगर निगम को पिछले दिनों आदेश दिया था कि शहर में अलाव नहीं जलना चाहिए क्योंकि शहर की हवा अलाव की वजह से जहरीली हो सकती है. इसके बाद नगर निगम में रैन बसेरों में हीटर की व्यवस्था कर दी है. खास बात यह है कि नगर निगम अभी तक अलाव की व्यवस्था फुटपाथ में रहने वाले भिखारियों के लिए करता था लेकिन NGT के नया नियम के सामने नगर निगम नतमस्तक है और रैन बसेरों में तो हीटर की व्यवस्था की गई, लेकिन सड़क पर हीटर की व्यवस्था कैसे हो.
भोपाल महापौर मालती राय और नगर निगम के अध्यक्ष का दावा है कि निगम ने रैन बसैरों में बेहतर व्यवस्था की जा रही है. कंबल और हीटर लगाए गए हैं.
सर्दी से करें बचाव
सर्दी में बचाव के लिए भोपाल सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी ने सलाह दी है. डॉ. तिवारी का कहना है कि सर्दी के मौसम में कोल्ड स्ट्रोक से लोगों को बचना चाहिए. अस्थामा और अन्य बीमारी के पीड़ित लोगों को खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए. इसके साथ ही खुले में भी रात के समय सोना नहीं चाहिए. रात में खुले में सोना जानलेवा हो सकता है.
नगर निगम के सामने रैन बसेरों में व्यवस्था के साथ-साथ खुले में रात बिताने वालों के लिए आश्रय की व्यवस्था बड़ी चुनौती है.