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Bhopal Metro में लोगों की जान के साथ खिलवाड़! टिकट में शामिल नहीं ट्रेवल इंश्योरेंस, दुर्घटना होने पर नहीं मिलेगी मदद

Bhopal Metro

भोपाल मेट्रो

Bhopal Metro: भोपाल एक हफ्ते पहले 20 दिसंबर को मेट्रो सिटी बना. 21 दिसंबर से लोग मेट्रो में सफर कर रहे हैं और अब तक हजारों लोग भोपाल मेट्रो में सफर कर चुके हैं, लेकिन मेट्रो शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर मेट्रो की खामियां उजागर होने लगी है. मेट्रो की टिकटिंग सिस्टम से लेकर इंश्योरेंस पॉलिसी तक इसकी कई खामियां सामने आई है.

मेट्रो टिकट में इंश्‍योरेंस शामिल नहीं

अगर आप भी भोपाल मेट्रो में सफर करने जा रहे हैं तो सावधान हो जाइए. रोजाना हजारों यात्रियों की जान जोखिम में डालकर मेट्रो प्रशासन लोगों को सफर करवा रहा है. मैन्युअल टिकट में पड़ताल करने पर मालूम हुआ कि टिकट में तो ट्रैवल इंश्योरेंस या एक्सीडेंटल इंश्योरेंस का जिक्र ही नहीं है. टिकट में केवल स्टेशन का नाम, डेट, समय, किराया लिखा हुआ मिला. इसके अलावा टिकट में यात्रियों के लिए कुछ निर्देश लिखे हुए मिले, लेकिन टिकट के आगे या पीछे हिस्से में इंश्योरेंस होने की बात कहीं नहीं मिली.

आपदा में नहीं मिलेगी मेट्रो से मदद

मेट्रो टिकट में अब तक दुर्घटना बीमा कवर शामिल नहीं किया गया है यानी कि ट्रैवल इंश्योरेंस या फिर एक्सीडेंट इंश्योरेंस टिकट में शामिल नहीं है. इसका मतलब भोपाल मेट्रो में यदि आप सफर कर रहे हैं और सफर करते समय कोई हादसा या दुर्घटना घटती है तो आपको मेट्रो की तरफ से कोई मदद नहीं दी जाएगी.

इसके बावजूद भोपाल मेट्रो प्रबंधन ने आंखें मूंद रखी है और लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. ऐसे तो मध्य प्रदेश मेट्रो कॉरपोरेशन यात्रियों की सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करता है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सुरक्षा और सुविधा के तमाम दावे फेल हैं.

इन शहरों में टिकट के साथ मिलता है बीमा

देश के अन्य शहरों में जहां मेट्रो संचालित हो रही है वहां टिकट या स्मार्ट कार्ड के ही साथ मेट्रो में सफर करने के लिए बीमा मिलता है. ये बीमा टिकट के दाम में ही शामिल रहता है.

भोपाल मेट्रो का किराया महंगा

दूसरे शहरों की तुलना में भोपाल मेट्रो यात्रियों से सफर के लिए ज्यादा किराया वसूल रहा है. जहां दिल्ली मेट्रो में 14 KM का किराया 43 रुपये है. वहीं भोपाल मेट्रो मात्र 6.7 Km का 40 रुपये वसूल रहा है.

इसके बावजूद सुरक्षा के नाम पर मध्य प्रदेश मेट्रो कॉरपोरेशन चुप्पी साधे हुए हैं. मेट्रो के इस रवैया पर लोग नाराज हैं. लोगों का कहना है कि मेट्रो किराया ज्यादा वसूल रहा है लेकिन सुविधा भी नहीं दे रहा है. साथ ही टिकट में इंश्योरेंस नहीं होना सीधे तौर पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है.

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मेट्रो का ऑटोमेटिक गैर कलेक्शन सिस्टम फेल

दरअसल, अभी तक ऑटोमेटिक गैर कलेक्शन सिस्टम शुरू नहीं हुआ है, जिसकी वजह से यात्रियों को मैन्युअल टिकट मिल रहा है. ऐसे में एक बार टिकट खरीदकर यात्री कई बार सफर कर ले रहे हैं. इससे मेट्रो को नुकसान भी हो रहा है. वही टिकट में इंश्योरेंस शामिल न होने से सीधे तौर पर लोगों की जान को जोखिम भी है.

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